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कुण्डली में चाण्डाल योग

कितने प्रकार का होता है, जन्मकुंडली में चाण्डाल योग? :- Dr.R.B.Dhawan चाण्डाल शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है क्रूर कर्म करनेवाला अथवा नीच (अप्रिय) कर्म करनेवाला इस चाण्डाल शब्द पर ज्योतिष-शास्त्र में एक योग अधिक प्रचलित है, जिसे कहते हैं- “गुरु चाण्डाल योग” आईये समझते हैं कैसे बनता है यह योग?- पौराणिक मान्यता के अनुसार…

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कुंडली विश्लेषण

कुंडली विश्लेषण करते समय ध्यान दें :- Dr.R.B.Dhawan कुंडली का विश्लेषण करते समय तीन महत्वपूर्ण तथ्यों को कभी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए, वे तीन तथ्य हैं:- जातक की मानसिक वृत्ति, शारीरिक वृत्ति, और आत्मिक वृत्ति। वस्तुत: कोई भी जातक जीवन में तीन प्रकार से कर्म करता है, और तीन ही प्रकार की प्रकृति से प्रभावित भी…

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तुलसी और हिन्दू मान्यता

तुलसी और हिन्दू मान्यताऐं :-  Dr.R.B.Dhawan (Guruji) हिन्दू मान्यताओं में तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधों का उल्लेख मिलता है, जिनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू-तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से उल्लिखित हैं। इन सभी के गुण अलग-अलग और विशिष्ट हैं। तुलसी मानव शरीर में कान,…

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विपरीत राजयोग

विपरीत राजयोग का रहस्य :- Dr.R.B.Dhawan ऐसा क्या रहस्य है, विपरीत राजयोग में की त्रिक (पाप स्थान के स्वामी) ग्रह भी शुभ फल देने लगते हैं, न केवल शुभफल अपितु अनेकों प्रकार के कष्ट फल भी हर लेते हैं। वस्तुत: कुंडली में त्रिक अर्थात् 6, 8, 12. स्थान तथा इन्हीं स्थानों के स्वामी ग्रह अशुभ…

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कुंडली में आठवां स्थान

कुण्डली का अष्टम भाव और कारक शनि:- Dr.R.B.Dhawan जन्मकुंडली में फलादेश करते हुए कुंडली का आठवा भाव और शनि दोनों ही बड़े महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कुंडली में अष्टम भाव को आयु का स्थान माना जाता है (कुछ विद्वान इसे मत्यु का स्थान समझते हैं, जो कि गलत है, वा‌स्तव में मृत्यु का स्थान 7वां है।)…

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ब्लड ग्रुप और आपका स्वभाव

ब्लड ग्रुप से जानिए अपना स्वभाव :- Dr.R.B.Dhawan ज्योतिष शास्त्र में तो जातक का स्वभाव जानने का पैमाना जन्म लग्न है ही, अंक ज्योतिष के अनुसार सम्बंधित अंक तथा सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार हस्तरेखायें व इस के अतिरिक्त भी सैकड़ों विद्या हैं, जिनके द्वारा किसी जातक के स्वभाव को जाना जा सकता है, वस्तुत: केवल…

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ग्रह और रोग

ग्रहयोग जो रोग की सूचना देते हैं :- Dr.R.B.Dhawan वैसे तो कुंडली में सभी नवग्रह अपनी-अपनी प्रकृति के अनुसार किसी न किसी रोग की सूचना देते ही हैं, परंतु दो या दो से अधिक ग्रहों कि युति अपना अलग प्रभाव प्रकट करती है, और रोगों को विशेष रूप से जटिल बना देती है। आगे की…

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भोजन

जैसा खायें अन्न वैसा होय मन:- Dr.R.B.Dhawan भोजन का असर शरीर पर तो होता ही है, परंतु शरीर के सभी अंगों तक भी उसी भोजन का रस पहुंचने के कारण उन सभी अंगों पर भी होता है, जो भोजन हम करते हैं, उसी भोजन के रस से ही शरीर के हर अंग को पुष्टि और…

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मंगलीक दोष

जन्मकुंडली में यदि मंगल दोष है:- Dr.R.B.Dhawan कुंडली मिलान के समय विवाह योग्य युवक अथवा युवती में से किसी एक की जन्मकुंडली में यदि मंगल सप्तम स्थान या अष्टम भाव में स्थित हो अथवा इन स्थानों को अपनी पूर्ण दृष्टि से देखता हो, और दूसरे की कुंडली में इस प्रकार का मांगलिक योग नहीं हो…

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