लघुपराशरी -2

Dr.R.B.Dhawan (Guruji),Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience. पंचयन्ति सप्तम सर्वे शनि-जीव-कुजाः पुनः। विशेषतश्च त्रिदश-त्रिकोण-चतुरष्टमानं।। 5 ।। लघुपराशरी श्लोक संख्या -5 इस श्लोक में ग्रंथकार आचार्य वराहमिहिर ने सभी ग्रहों की पूर्ण दृष्टि की विवेचना करते हुए कहा है की, सभी ग्रह अपने स्थान से सप्तम स्थान को तो देखते ही…

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