लघुराशरी -5
द्वितीय और द्वादश स्थानों की शुभता-अशुभता – Dr.R.B.Dhawan (Guruji),Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience. लग्नाद्वययद्वितीयेशौ परेषां साहचर्ययतः।स्थानान्तरानुगुण्येन भवतः फलदायकौ ।। ८।। श्लोक नंबर 8 की व्याख्या करते हुए आचार्य वराहमिहिर कहते हैं-लग्न स्थान से द्वादश तथा द्वितीय दूसरे स्थान दूसरे ग्रहों के सहचर से तथा अपने स्थानांतरण यानी अन्य स्थानों…
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