पंचागुली साधना

भविष्य ज्ञान की साधना (पंचांगुली साधना) :-

Dr.R.B.Dhawan (top best Astrologer in Delhi)

यह साधना कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि से आरम्भ करके कार्तिक पूर्णिमा तक (एक माह तक जप करके सिद्ध की जाती है।) पंचांगुली साधना एक ऐसी दिव्य, सरल और सुगम साधना है, जिसे कोई भी साधक सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सकता है। इसके लिये आवश्यकता है- 1. किसी सिद्ध मुहूर्त (ग्रहणकाल अथवा कालरात्रि) की, 2. दृढ़ इच्छा शक्ति की, 3. पंचांगुली देवी चित्र की, 4. मंत्र सि़द्ध और प्राण प्रतिष्ठित ‘श्री पंचांगुली महायंत्र’ की तथा 5. शुद्ध हकीक से बनी प्राण प्रतिष्ठित की गई माला की। वस्तुतः यह दिव्य साधना भविष्य ज्ञान हेतु श्रेष्ठ साधनाओं में से एक है। पंचांगुली साधना भारतीय तंत्र-शास्त्र की श्रेष्ठतम साधना है, क्योंकि इसके माध्यम से भविष्य ज्ञान स्पष्ट हो जाता है, यद्यपि भविष्य का ज्ञान प्राप्त करने का प्रचलित साधन ज्योतिष है, और ज्योतिष का ज्ञान ग्रह नक्षत्रों की गणना या सामुद्रिक शास्त्र (हस्तरेखा-विज्ञान) आदि के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। परन्तु हमारे ऋषियों का यही उपदेश है कि ‘बिना इष्ट के सब कुछ भ्रष्ट है।’ इसका तात्पर्य यह है कि कोई भी ज्योतिषी तब तक पूर्ण रूप से भविष्य-वक्ता तथा प्रसिद्ध दैवज्ञ नहीं बन सकता जब तक कि उसके पास कोई न कोई सिद्धि न हो। यद्यपि भविष्य ज्ञान के लिए अनेक सिद्धियाँ प्रचलित हैं, परन्तु वे सब कठिन और तुरन्त फलदायक नहीं हैं, इन सब की अपेक्षा ‘पंचांगुली साधना’ अत्यंत सरल होने के साथ तुरन्त और अचूक फलदायक है, साथ ही साथ इस साधना को कोई भी स्त्री या पुरूष सरलता से सिद्ध कर सकता है। कर्ण पिशाचिनी का सिद्ध साधक किसी भी व्यक्ति के भूतकाल को स्पष्ट रूप से कुछ ही पलों में बता सकता है। कहा जाता है कि विश्वविख्यात् सामुद्रिक शास्त्री ‘कीरो’ ने भी भारत में ही आकर हस्तरेखा का ज्ञान प्राप्त किया था तथा ‘पंचांगुली देवी’ की साधना सिद्ध की थी।

वास्तव में वर्तमान समय में यह साधना आश्चर्यजनक फलदायक तथा सिद्धिदायक है, इसे किसी भी वर्ण का व्यक्ति सिद्ध कर सकता है, और अपने जीवन में यश,मान,पद,प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है। ऐसा देखा गया है, कुछ सर्विस वाले एेसे साधक हैं, जो अपने कार्यालय के अधिकारियों में सत्य भविष्यवाणियों के कारण बहुत लोकप्रिय हो जाते हैं, तथा शीघ्र ही बहुत उन्नति कर लेते हैं, जो इस प्रकार की भविष्यवाणी करने में समर्थ होते हैं, वे अधिकारियों के प्रिय पात्र बने रहते हैं, इसी प्रकार अनेक व्यापारी इस प्रकार की साधना से सिद्धि प्राप्त कर किसी के भी भविष्य ज्ञान प्राप्त कर कुछ ही दिनों में सम्पन्न हो कर धन, यश व सम्मान प्राप्त कर लेते हैं, और यह ज्ञात कर लेते हैं कि अपना तथा जिससे वे व्यापार करते हैं, उसका आने वाला समय कैसा है? आने वाले दिनों में किसी वस्तु के क्या भाव होंगे, तथा किस वस्तु में अधिक से अधिक लाभ हो सकता है। अनेक प्रकार से यह साधना जीवन में सभी अवसरों के लिये अनुकूल रहती है।

पंचांगुली साधना-
यह साधना किसी भी समय शुभ मुहूर्त में प्रारम्भ की जा सकती है, परन्तु निश्चित सिद्धि के लिये साधक को चाहिये कि वे कार्तिक प्रतिपदा से यह साधना आरम्भ करके सम्पूर्ण कार्तिक माह में प्रतिदिन एक माला का जप करते हुये 108 की संख्या में मंत्र का जप करके यह साधना सम्पन्न करनी चाहिये। इस वर्ष कार्तिक मास 25 अक्तूबर 2018 से आरम्भ होकर 23 नवम्बर 2018 के दिन तक है। इस दिन से यह साधना आरम्भ करके प्रतिदिन रात्रि के समय एक माह तक पूर्ण विधि-विधान के साथ सम्पन्न की जा सकती है, मंत्र-जप अपने घर के किसी एकांत कक्ष में या किसी मंदिर में भी कर सकते हैं। इस प्रकार यदि सम्पूर्ण कार्तिक मास में यह साधना सम्पन्न कर ली जाये तो कोई कारण नहीं की सफलता आपके कदम न चूमे। परंतु यदि आपके पास समय का आभाव है तो यह साधना कार्तिक अमावस्या अर्थात् दीपावली के दिन अवष्य सम्पन्न कर लें। इस प्रकार भी कुछ प्रतिषत सिद्धि अवश्य प्राप्त होती है। शुभ मुहूर्त में साधना स्थान को गंगाजल अथवा साधारण स्वच्छ पानी से धो लें, कच्चा आंगन हो तो गोबर से लीप लें, तत्पश्चात् लकड़ी के एक समकोंण पट्टे पर श्वेत वस्त्र धो कर बिछा दें, और उस पर लगभग एक कि. ग्राम (एक सेर) चावलों की ढेरी लगाकर, उस पर प्राण प्रतिष्ठित पंचांगुली यंत्र की स्थापना करें। तत्पश्चात् यंत्र के साथ एक ताम्र-कलश भी स्थापित करें, और उस पर लाल वस्त्र आच्छादित कर ऊपर एक कलावा बांधकर नारियल रखें, और फिर उस के साथ प्राण प्रतिष्ठित पंचांगुली देवी का चित्र भी स्थापित करें, तथा शुद्ध घी अथवा तिल के तेल का एक बड़ा सा दीपक जलावें। यह दीपक किसी पीतल या स्टील की थाली में रखकर जलावें। इसके उपरांत पूर्ण षोडशोपचार पूजन करें, और फिर एक माला प्राण प्रतिष्ठित हकीक की माला से पंचांगुली देवी के मंत्र का जप करें। साधक एक बात का और ध्यान रखें, कि जप के लिये आसन बिछा कर उस पर ही बैठना चाहिये यह आसन ऊनी वस्त्र का हो सकता है अथवा कोई भी रंग का कंबल प्रयोग में लाया जा सकता है। आज के समय में प्रत्येक स्थान पर विद्वान उपलब्ध नहीं होते, जो कि यंत्र का सही स्वरूप और विधि समझा सकें, परन्तु इस साधना में प्रामाणिक ‘श्री पंचांगुली महायंत्र’ तथा ‘पंचांगुली देवी चित्र’ ही आवश्यक हैं। सर्वप्रथम मुख शोधन कर पंचांगुली मंत्र को चैतन्य करे लें, पंचांगुली देवी की साधना के लिये चैतन्य मंत्र ‘ई’ है अतः मंत्र के प्रारम्भ और अन्त में ‘ई’ सम्पुट देने से मंत्र चैतन्य हो जाता है। इस प्रकार 11 या 21 बार करना ही पर्याप्त है। मंत्र-चैतन्य के पश्चात् पंचांगुली देवी का ध्यान करें-

पंचांगुली ध्यान- पंचांगुली महादेवी श्री सीमन्घर शासने, अधिष्ठात्री करस्यासौ शक्तिः श्री त्रिदशेशितुः।।

पंचांगुली देवी के सामने यह ध्यान करके हकीक की प्रतिष्ठित माला से पंचांगुली मंत्र का जप आरम्भ करना चाहिये। जपकाल में यदि उठना पढ़े तो फिर से हाथ मुंह धो कर कुल्ला कर लें और जप के लिये बैठें।

पंचांगुली मंत्र-
ॐ नमो पंचांगुली पंचांगुली परशरी परशरी माता मयंगल वशीकरणी लोहमय दंडमणिनी चैसठ काम विहंडनी रणमध्ये राउलमध्ये शत्रुमध्ये दीवानमध्ये भूतमध्ये प्रेतमध्ये पिशाचमध्ये झोटिंगमध्ये डाकिनी मध्ये शंखिनीमध्ये यक्षिणी-मध्ये दोषणि मध्ये शेकनीमध्य गुणि मध्ये गारूड़ीमध्ये विनारीमध्ये दोष मध्ये दोषाशरणमध्ये दुष्टमध्ये धोर कष्ट मुझ ऊपरे बुरो जो कोई करावे जड़े जड़ावे तत चिन्ते चिन्तावे तस माथे श्री माता पंचांगुलिदेवी तणो वज्र निर्धार पड़े ऊँ ठं ठं ठं स्वाहा।

साधक मंत्र का जप एक माला पूर्ण होने तक करता रहे। इस प्रकार साधना सम्पूर्ण होने पर देवी से किसी भी प्रकार की साधना काल में हुई भूल-चूक के लिये क्षमा प्रार्थना करते हुये देवी को विदा करें। ढेरी वाले चावल तथा फूल, सुपारी, पान, रोली व कलावा इत्यादि जल में विसर्जित कर दें। जब भी कभी किसी जातक की हस्तरेखा अथवा जन्मकुण्डली का विश्लेषण करना हो, उससे पूर्व पंचांगुली देवी का ध्यान कर, पंचांगुली मंत्र का एक बार पाठ करते हुये, अपने दोनों हाथों पर एक बार फूंक मार लें, और हस्तरेखा या कुण्डली देखना आरम्भ करें। आप पायेंगे कि जैसे ही जातक का हस्त अथवा कुण्डली आपके सामने आयेगी कोई अदृश्य शक्ति आप की वाणी के माध्यम से जैसे जिज्ञासु जातक के भविष्य काल में होने वाली अनेक सच्ची घटनाओं को प्रकट करने लगेगी, और वह जातक बहुत प्रभावित होकर अनेक लोगों तक आपका प्रचार करने लगेगा। कुछ ही दिनों में आप के कार्यालय या निवास स्थान पर अपना भविष्य जानने वाले लोगों का तांता लगने लगेगा परंतु इस सब के साथ-साथ साधक को अपनी दैनिक उपासना कभी नहीं भूलनी चाहिये। अन्यथा धीरे-धीरे यह शक्ति साधक के पास से विलुप्त होने लगेगी। पंचांगुली साधना को करने वाले साधक में जितनी उज्ज्वलता और पवित्रता होती है, उसी के अनुसार उसे फल मिलता है।

वस्तुतः वर्तमान युग में यह साधना श्रेष्ठत्तम और प्रभावपूर्ण मानी जाती है तथा प्रत्येक मंत्र-मर्मज्ञ और तांत्रिक साधक इस बात को स्वीकार करते हैं कि वर्तमान समय में यह साधना अचूक फलदायक है। वस्तुतः यह दीर्घकालिक और श्रम साध्य साधना है। एक बार ग्रहणकाल में यह साधना सिद्ध करके साधक पंचांगुली देवी के चित्र तथा पंचांगुली यंत्र को अपने घर के पूजा स्थान में स्थापित कर लें और इसके बाद नित्य पंचांगुली देवी के यंत्र व चित्र के सामने बैठकर, हकीक की माला से 1 माला का जप करें। एक माला का जप नियमित रूप से नित्य करने से पंचांगुली देवी की सिद्धि सदा जीवंत रहती है। इस सिद्धांत को इस प्रकार समझ सकते हैं जैसे एक पानी की टंकी में से आप नित्य पानी तो इस्तेमाल करते हैं परंतु उस टंकी में उस निकाले गये पानी की आपूर्ति हेतु उसमें पानी भरना भी पड़ता है। जैसे बैट्री का प्रयोग हम उसे अपने वाहन या इन्वर्टर को चलाने के लिये करते हैं। तथा वह बिल्कुल डिस्चार्ज (निष्क्रय) न हो जाये इसलिये उसे समय-समय पर चार्ज भी करते हैं। ठीक इसी प्रकार जब हम किसी भी दैविय शक्ति से कार्य लेते हैं। तब हमारे पास संग्रहित वह ऊर्जा धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। इसी लिये हमें चाहिये उस संग्रहित ऊर्जा को बनाये रखने के लिये नियमित उससे सम्बन्धित मंत्र का जप एक न्यूनतम मात्रा में करते रहें। यही इस संजीवनी (सिद्धांत पंचांगुली देवी की सिद्धि) को बनाये रखने के लिये लागू होता है। यदि कोई साधक इतना भी न कर सके तो नियमित रूप से सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त पंचांगुली देवी चित्र तथा यंत्र के सामने नित्य प्रातः स्नानोपरांत बैठकर उसके सामने पंचांगुली मंत्र का 21 बार जप अवश्य करें। ऐसी उपासना तो प्रत्येक साधक के लिये संभव है, व सुविधाजनक भी है, और इसमें किसी प्रकार की त्रुटि सम्भव नहीं होती।

साधना सामग्री- विशेष मुहर्त में निर्मित पंचांगुली देवी चित्र मंत्र सि़द्ध और प्राण प्रतिष्ठित ‘श्री पंचांगुली महायंत्र’ की तथा शुद्ध हकीक से बनी प्राण प्रतिष्ठित माला का पैकिट shukracharya कार्यालय से मंगवा सकते हैं। इसके लिये न्यौक्षावर राशि 5100/-रू मात्र है। इस पैकिट के लिये कम से कम 15-20 दिन पहले ही अपना आर्डर करना उचित होगा। क्योंकि पार्सल पहुँचने में कभी-कभी 10 से 15 दिन का समय लग जाता है। अतः आपकी साधना समग्री समय पर आपके पास पहुँच जाये इस बात का विशेष ध्यान रखें।

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भविष्य ज्ञान की साधना (पंचांगुली साधना) :- Dr.R.B.Dhawan (top best Astrologer in Delhi) यह साधना कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि से आरम्भ करके कार्तिक पूर्णिमा तक (एक माह तक जप करके सिद्ध की जाती है।) पंचांगुली साधना एक ऐसी दिव्य, सरल और सुगम साधना है, जिसे कोई भी साधक सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सकता है। इसके…