साढ़ेसाती के रहस्य -6

शनि साढेसाती के रहस्य-6

Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.

नमस्कार दोस्तो- साढेसाती के शुभ या अशुभ प्रभाव को समझने के लिए इस क्रम में आपने इसी चैनल पर इससे पहले 5 वीडियो देखे होंगे, जिसमें मैने आपको साढेसाती के प्रभाव को नक्षत्रों के द्वारा कैसे देखें? यह बताने का प्रयास किया है। साढेसाती के प्रभाव को समझने का यह सही और वैदिक तरीका है, और अगर आपने वह वीडियो नहीं देखे तो लैक्चर नम्बर 390 से 394 इस क्रम में 6 वीडीयो हो गये हैं। जिनमें पहले दो वीडियों में नक्षत्र पद्धति से साढेसाती देखने के नियम और साढेसाती के प्रभाव या रहस्य बताए गये हैं, और उसके बाद के चार वीडियो में अलग-अलग उदाहरणों के साथ साढेसाती देखने के नियम और फल समझाये गये हैं। इसी क्रम के अंतिम दो वीडियो में भारत के दो प्रधान मंत्रीयों की कुंडली से यह बताया गया है, साढेसाती इनके लिए कैसे राजयोग वाली रही।
दोस्तो अगर ज्योतिष में आपको रूची है तो यह वीडियो बहुत इंट्रेस्टिग है, वीडियो बिना स्किप किए अवश्य पूरा देखें।
यहां इस वीडियो में हम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री डा. मनमोहन सिंह जी की कुंडली से समझेंगे की शनि ग्रह की साढेसाती का इनके जीवन पर क्या प्रभाव रहा। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इनकी जन्म तिथि 26 मई 1932 तथा जन्म का समय दोपहर 14 बजे का है, जन्म स्थान जेलम पाकिस्तान है।
डा मनमोहन सिंह जी का जन्म अश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण में हुआ है। अश्लेषा बुध का नक्षत्र है। अर्थात इनकी कुंडली के लिए बुध ग्रह इनका नक्षत्र स्वामी है, इस लिए इनका जन्म बुध ग्रह की महादशा में हुआ है। परंतु यहां हम शनि की साढेसाती अर्थात शनि के गोचरीय प्रभाव का विश्लेषण करेंगे। जन्म नक्षत्र अश्लेषा प्रथम चरण के अनुसार इनकी साढ़ेसाती के आरम्भ के समय शनि ग्रह का गोचर भ्रमण मृगशिरा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में था। मृगशिरा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में शनि जून 2003 से ही प्रवेश कर गये थे, उसी समय इनकी साढेसाती आरम्भ हो गई थी। और उत्तराफाल्गुनी के दूसरे चरण सितम्बर 2009 तक साढेसाती रही। इस साढेसाती के मध्य में ही इन्होंने दो बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, और दोनो बार कार्यकाल पूरा किया।
शनि की साढेसाती किसी पूर्णायु वाले मनुष्य के जीवन में तीन बार आती है। यह इनके जीवन की तीसरी साढेसाती थी। अब हम देखेंगे साढ़ेसाती के सम्पूर्ण साढे 7 वर्ष के समय में सात नक्षत्रों में शनि ग्रह के भ्रमण का प्रभाव इनके जीवन पर कैसा रहा है। पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिह जी की कुंडली में नक्षत्र गणना के द्वारा शनि ग्रह की साढेसाती के रहते, डा. मनमोहन सिह जी को प्रधानमंत्री पद कैसे प्राप्त हुआ। चंद्रमा के नक्षत्र से देखने पर जिन 7 नक्षत्रों में इनके लिए साढेसाती की सूचना मिलती है वह नक्षत्र इस प्रकार हैं-

1. मृगशिरा-मंगल। 1 वेध-चित्रा,धनिष्ठा।
2. आद्र्रा-राहु। 4 वेध-श्रवण।
3. पुनर्वसु-गुरू। 4 वेध-उत्तराषाढ़ा।
4. पुष्य-शनि। 4 वेध- पूर्वाषाढ़ा।
5. अश्लेषा-बुध। 4 वेध- मूला।
6. मघा-केतु। 4 वेध- रेवती।
7. पूर्वाफाल्गुनी-शुक्र। 4 वेध- उत्तराभाद्रपद।
8. उत्तराफाल्गुनी-सूर्य। 2 वेध- पूर्वाभाद्रपद।

नैसर्गिक मैत्रि चक्र-
शनि ग्रह के मित्र-शत्रु
मित्र- बुध, राहु, शुक्र।
शत्रु- सूर्य, चंद्र, मंगल, केतु।
सम- बृहस्पति।

1. डा मनमोहन जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ पहली बार 22 मई 2004 के दिन ली थी। इन दिनों में शनि ग्रह की साढेसाती चल ही रही थी, शनि साढेसाती के तीसरे चक्र में एक वर्ष का समय बीत चुका था, और साढे 6 वर्ष का समय अभी शेष था। शनि ग्रह की गोचरीय स्थिति उस समय आद्र्रा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में थी। नक्षत्रीय गणना के अनुसार शनि की गोचरीय स्थिति 25वें नक्षत्र राहु के नक्षत्र आद्र्रा में थी। इस प्रकार शनि की स्थिति नैसर्गिक मित्र और पंचधा मैत्री चक्र से अतिमित्र ग्रह राहु के नक्षत्र में थी, जो शनि ग्रह के लिए नैसर्गिक दृष्टि से मित्र ग्रह और इनकी कुंडली में पंचधा मैत्री चक्र से शनि के लिए अतिमित्र हैं।
2. डा मनमोहन सिंह जी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ 22 मई 2009 के दिन ली थी। इस समय शनि ग्रह की साढेसाती का समय चल ही रहा था, और शनि ग्रह का गोचर भ्रमण शनि के मित्र शुक्र के नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी में था। इस तरह शनि की गोचरीय स्थिाति अपने नैसर्गिक मित्र शुक्र के नक्षत्र में थी। पंचधा मैत्रीचक्र के अनुसार शुक्र ग्रह शनि के लिए मित्र से सम हो रहे हैं, इस प्रकार न्यूट्रल शुक्र भी साढेसाती के इस समय में डा मनमोहन सिंह जी के लिए दूसरी बार प्रधानमंत्री पद प्राप्ति के लिए सहायक सिद्ध हुए।
यहां एक तो आपने समझा की डा मनमोहन सिंह जी को भी दोनो बार प्रधान मंत्री पद साढेसाती में ही मिला। अर्थात यह ठीक वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी की तरह ही दोनो बार शनि ग्रह की साढेसाती के समय में ही प्रधानमंत्री बने।
दूसरी और जरूरी बात यह की साढेसाती की गणना हमेशा जन्म के नक्षत्र से ही करनी है, जन्म की राशि से नहीं करनी, क्योकि इस से शनि साढेसाती का फलादेश बिलकुल सही नहीं प्राप्त होगा। और तीसरी बात- शनि ग्रह की साढेसाती का प्रभाव हमेशा और हर एक के लिए बुरा या कष्टकारी नहीं होता है। इस लिए शनि ग्रह की साढेसाती को हमेशा कष्टकारी नहीं माना जा सकता।
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