जब राजयोग बेकार हो जाता है।

Dr. R.B.Dhawan Guruji – धनेश लामेश अस्त तो राजयोग व्यर्थ कुंडली के 1, 4, 7, 10 माव और 5, 9 माव केंद्र/त्रिकोण होते हैं, सुख-समृद्धि के लिए यह महत्वपूर्ण भाव है. लेकिन इनका आर्थिक रूप से भी शुभत्व तब ही मिलेगा जब धनेश (दूसरे भाव का स्वामी, और लाभेश (ग्यारहवे भाव का स्वामी) यह दोनो पीड़ित न हो, विशेषकर अस्त न हों। अब यदि कुंडली में राजयोग भी क्यों न हो?, सुख समृद्धि योग अनेक क्यों न हो? तो वह राजयोग, सुख समृद्धि के योग, सफलताए और तरक्की तो देंगे लेकिन ऐसी स्थिति यदि दुसरे भाव (धन भाव) और ग्यारहवे भाव (लाभ भाव) के स्वामी अस्त हो गए हों या, बहुत ज्यादा पीड़ित हो गए हो तो जातक को धन और ऐश्वर्य के साधन मिलने में कमी रहेगी. या धन अच्छा कमा लेने पर भी ऐसे धन में बरकत नहीं होगी सेविंग नहीं होती और लाभ की जगह नुकसान या आय की तुलना में खर्च की मात्रा ज्यादा रहेगी । धन और लाभ/आय

कारण कि कुण्डली के के स्वामी अस्त, पीड़ित हो जाने से जातक को धन, लाभ, आय आदि की तरफ से सुख और शुभ फल पूर्ण रूप से मिलते नही हैं, और जब धन और लाभ ही नही मिल रहा तो ऐसे राजयोग का भी भला क्या फायदा बस ऐसा राजयोग कुंडली में नाम मात्र ही होगा क्योंकि राजयोग का मतलब ही होता है- धन, ऐश्वर्य, जमन-जायदाद, लाभकारी फलो आदि की अच्छी प्राप्ति । तो इन दोनो भाव के स्वामी अस्त/पीड़ित हुए तो ऐसे लोगो की कुंडली में धन लाभ, तरक्की के संबंध में स्थिति अच्छी नहीं होगी। ऐसे लोगों की कुंडली मे ही राजयोग या अच्छी ग्रह स्थितियां होने पर भी सब व्यर्थ हो जाता है। ऐसे जातक तब ही राजयोग का असली फायदा ले पाते हैं जब दूसरे ग्यारहवे भाव के स्वामी बहुत अच्छी स्थिति में हों, जितने ज्यादा दूसर/ ग्यारहव नाव के स्वागी अच्छी स्थिति में होंगे उतना ही राजयोग बलवान और फलीभूत होगा। for astrological consultations and remedies, whatsapp: 9810143516

Dr. R.B.Dhawan Guruji – धनेश लामेश अस्त तो राजयोग व्यर्थ कुंडली के 1, 4, 7, 10 माव और 5, 9 माव केंद्र/त्रिकोण होते हैं, सुख-समृद्धि के लिए यह महत्वपूर्ण भाव है. लेकिन इनका आर्थिक रूप से भी शुभत्व तब ही मिलेगा जब धनेश (दूसरे भाव का स्वामी, और लाभेश (ग्यारहवे भाव का स्वामी) यह दोनो…