मेरा विवाह कब होगा?

Dr.R.B.Dhawan Guruji – बहुत से अविवाहीत युवक युवतियों का प्रश्न होता है- मेरा विवाह कब होगा?
ज्योतिष में फलादेश के नियमों के अनुसार विवाह का समय जानने के लिए कुंडली पर एक साथ दो सूत्र जांचने होते हैं, सबसे पहला सूत्र है, मान्य ग्रंथों में विवाह का योग किस आयु में सूचित हो रहा है।
दूसरा सूत्र है दशा और अंतरदशा के द्वारा विवाह की ठीक ठीक समय अवधि प्राप्त करना।
जातक या जातिका के लिए जन्म कुंडली में पहले जब योगों के आधार पर विवाह की आयु निर्धारित हो जाए तो, उसके बाद विवाह के कारक ग्रह शुक्र व विवाह के मुख्य भाव व सहायक भावों की दशा-अंतर्दशा में विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं।
आईए देखें की कैसे दशाएं विवाह के समय को निर्धारण करने में सहयोग करती हैः-

1. सप्तमेश की दशा – अंतर्दशा में विवाह-
जब कुंडली के योग विवाह की संभावनाएं बना रहे हों, तथा व्यक्ति की ग्रह दशा में सप्तमेश का संबंध शुक्र से हो तो इस अवधि में विवाह होता है। इसके अलावा जब सप्तमेश द्वितीयेश के साथ ग्रह दशा में संबंध बना रहे हों उस स्थिति में भी विवाह होने के योग बनते है।

2. सप्तमेश में नवमेश की दशा – अंतर्दशा में विवाह-
ग्रह दशा का संबंध जब सप्तमेश व नवमेश का हो रहा हो, तथा ये दोनों जन्म कुंडली में पंचमेश से भी संबंध बनाते हों तो, इस ग्रह दशा में प्रेम विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं।

3. सप्तम भाव में स्थित ग्रहों की दशा में विवाह कृ
सप्तम भाव में जो ग्रह स्थित हो या उनसे पूर्ण दृष्टि संबंध बना रहे हों, उन सभी ग्रहों की दशा व अंतर्दशा में विवाह हो सकता है।

इसके अलावा निम्न योगों में विवाह होने की संभावनाएं बनती है–

1. सप्तम भाव में स्थित ग्रह, सप्तमेश जब शुभ ग्रह होकर शुभ भाव में हों तो व्यक्ति का विवाह संबंधित ग्रह दशा की आरंभ की अवधि में होने की संभावनाएं बनाती है।

2. शुक्र सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश जब शुभ ग्रह होकर अशुभ भाव या अशुभ ग्रह की राशि में स्थित होने पर अपनी दशा- अंतर्दशा के मध्य भाग में हो तब विवाह की संभावनाएं बनाता है।

3. जब अशुभ ग्रह बली होकर सप्तम भाव में स्थित हों या स्वयं सप्तमेश हों तो इस ग्रह की दशा के अंतिम भाग में विवाह संभावित होता है।

4. शुक्र ग्रह का दशा स्वामी से संबंध होने पर विवाह होता है।
जब विवाह कारक ग्रह शुक्र नैसर्गिक रुप से शुभ हों, शुभ राशि, शुभ ग्रह से युक्त, दृष्ट हों तो गोचर में शनि, गुरू से संबंध बनाने पर अपनी दशा – अंतर्दशा में विवाह होने का संकेत करता है।

5. सप्तमेश के मित्रों की ग्रह दशा में विवाह – जब किसी व्यक्ति कि विवाह योग्य आयु हों तथा महादशा का स्वामी सप्तमेश का मित्र हों, शुभ ग्रह हों व साथ ही साथ सप्तमेश या शुक्र से सप्तम भाव में स्थित हों, तो इस महादशा में व्यक्ति के विवाह होने के योग बनते है।

6. सप्तम व सप्तमेश से दृष्ट ग्रहों की दशा में विवाह- सप्तम भाव को क्योंकि विवाह का भाव कहा गया है। सप्तमेश इस भाव का स्वामी होता है। इसलिए जो ग्रह बली होकर इन सप्तम भाव , सप्तमेश से दृष्टि संबंध बनाते है, उन ग्रहों की दशा अवधि में विवाह की संभावनाएं बनती है।

7. लग्नेश व सप्तमेश की दशा में विवाह- लग्नेश की दशा में सप्तमेश की अंतर्दशा में भी विवाह होने की संभावनाएं बनती है।

8. शुक्र की शुभ स्थिति – किसी व्यक्ति की कुंडली में जब शुक्र शुभ ग्रह की राशि तथा शुभ भाव (केन्द्र, त्रिकोण) में स्थित हों, तो शुक्र का संबंध अंतर्दशा या प्रत्यंतरदशा से आने पर विवाह हो सकता है। कुंडली में शुक्र पर जितना कम पाप प्रभाव होता है। वैवाहिक जीवन के सुख में उतनी ही अधिक वृद्धि होती है।

9. शुक्र से युति करने वाले ग्रहों की दशा में विवाह- शुक्र से युति करने वाले सभी ग्रह, सप्तमेश का मित्र, अथवा प्रत्येक वह ग्रह जो बली हों, तथा इनमें से किसी के साथ दृष्टि संबंध बना रहा हो, उन सभी ग्रहों की दशा- अंतर्दशा में विवाह होने की संभावनाएं बनती है।

10. शुक्र का नक्षत्रपति की दशा में विवाह- जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह जिस ग्रह के नक्षत्र में स्थित हों, उस ग्रह की दशा अवधि में विवाह होने की संभावनाएं बनती है। Contact for astrological consultations and remedies, whatsapp : 9810143516

Dr.R.B.Dhawan Guruji – बहुत से अविवाहीत युवक युवतियों का प्रश्न होता है- मेरा विवाह कब होगा? ज्योतिष में फलादेश के नियमों के अनुसार विवाह का समय जानने के लिए कुंडली पर एक साथ दो सूत्र जांचने होते हैं, सबसे पहला सूत्र है, मान्य ग्रंथों में विवाह का योग किस आयु में सूचित हो रहा है।…