
शाबर मंत्र
Dr.R.B.Dhawan, (Astrological Consultation), top astrologer in india
शाबर मंत्र साधना से पहले :-
शाबर मंत्रों की साधना के लिए वैदिक एवं तंत्रोक्त मंत्रों की तरह कड़े व जटिल नियम नहीं हैं। इसी कारण शाबर मंत्रों की साधना कठिन नहीं है, मंत्रों की सरलता के साथ इनका विधान भी सरल है। परंतु फिर भी शाबर मंत्रों की साधना के कुछ सामान्य नियमों का ज्ञान प्रत्येक साधक को होना आवश्यक है।
शाबर मंत्रों का विशाल संकलन ‘शाबर मंत्र संग्रह’ नामक ग्रंथ में और इसके अतिरिक्त मंत्र महार्णव, मेरू तंत्र, बृहत्शाबर तंत्र, बृहत्इन्द्रजाल, शाबर मंत्र चिन्तामणि, पुरश्चर्यार्णव, आगम रहस्य आदि ग्रंथों में प्राप्त होता है। शाबर मंत्र साधना के संदर्भ में विभिन्न ग्रंथों के अवलोकन एवं इस विद्या के अनुभवी साधकों से चर्चा के पश्चात् जो तथ्य सामने आए हैं, उन जानकारियों को साधको एवं पाठको के ज्ञान संवर्द्धन हेतु सूत्र रूप में यहां प्रस्तुत कर रह हूं :-
1. शाबर मंत्र साधना में जाति, वर्ण एवं आयु का कोई बंधन नहीं होता है। किसी भी जाति के स्त्री या पुरुष साधना नियमों का पालन करते हुए इनकी साधना सम्पन्न कर सकते हैं।
2. सामान्यतः शाबर साधना में गुरु की कोई आवश्कयता नहीं होती किन्तु कुछ साधकों के अनुभव से स्पष्ट होता है कि प्रारंभिक साधकों को किसी अनुभवी निष्ठावान साधक के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, इस लिए प्रथम बार शाबर मंत्र साधना करने से पहले किसी अनुभवी साधक की देखरेख में ही यह साधना संपन्न करनी चाहिए।
3. साधना काल में साधक को पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुँह करके जाप करना चाहिए। मुस्लिम धर्म के मंत्रों का जप पश्चिम की ओर मुंह करके किया जाता है।
4. साधना का समय प्रातःकाल अथवा रात्रि में उत्तम होता है।
5. मंत्र के जप हेतु रूद्राक्ष की माला सर्वोत्तम मानी गई है। वैष्णव देवताओं के जप में तुलसी की माला का प्रयोग कर सकते हैं। मुस्लिम मंत्र हकीक की माला से जपे जाते हैं।
6. उन साधनाओं में अलग-अलग मंत्र के लिए अलग-अलग माला की आवश्यकता नहीं होती। एक ही माला पर अनेको मंत्रों का जप संपन्न किया जा सकता है। माला के संस्कार की भी आवश्कयता नहीं होती।
7. साधना काल में मंत्र एवं देवता पर मानसिक श्रद्धा बनाये रखें, तथा उत्साह पूर्वक जप करें। अशुद्ध विचारों एवं वाणी पर विवेक का नियंत्रण बनाये रखें।
8. शाबर साधना में ग्रहण काल का अत्यधिक महत्त्व होता है। साधक को अपनी साधना के लिए सभी मंत्रों का ग्रहण काल में यथा-शक्ति जप करके हवन अवश्य संपन्न कर लेना चाहिए। इस प्रक्रिया से मंत्र चैतन्य हो जाते हैं, और वे प्रभावशाली हो जाते हैं।
9. मंत्र का जप निर्दिष्ट विधि के अनुसार घर के एकान्त कमरे में, मंदिर या नदी के तट पर कहीं भी संपन्न किया जा सकता है।
10. साधना काल में साक्षी के रूप में शुद्ध घी या तिल तेल का दीपक अवश्य जलायें। धूप या गाय के गोबर व चंदन आदि से निर्मित अगरबत्ती भी अवश्य जलायें।
11. हवन सामग्री का निर्देश न होने पर सामान्य हवन सामग्री से ही हवन संपन्न करना चाहिए। मुस्लिम मंत्रों में लोहबान से हवन करें।
12. शाबर मंत्र साधना के लिए हवन में मूल रूप से मंत्र पढ़कर आहुति दी जाती है। तांत्रोक्त मंत्रों की तरह ‘स्वाहा’ शब्द का उच्चारण नहीं किया जाता है।
13. साधना का प्रारंभ रविवार, मंगलवार, पर्वकाल :- (संक्रान्ति, अमावस्या, होली, दीपावली, दशहरा, गंगा दशहरा, महाशिवरात्रि, नवरात्रि) आदि से किया जा सकता है।
14. साधना प्रारंभ करने की तिथि प्रत्येक साधक को अवश्य स्मरण रखनी चाहिए। प्रतिवर्ष उस तिथि या दिनों में उस मंत्र को पुनः चैतन्य करने के लिए उसका जप अवश्य करें। जप संख्या न्यूनतम एक माला एवं हवन विधि के अनुसार करें।
15. यदि मंत्र के विधान में जप संख्या का उल्लेख न हो तो मंत्र के छोटा होने पर जप संख्या एक हजार से दस हजार और मंत्र के लंबा होने पर जप संख्या एक माला से दस माला पूर्ण करें।
16. जप के समय आसन ऊनी या सूती होना चाहिए। लाल अथवा सफेद रंग प्रशस्त कहा गया है।
17. साधना के समय किसी भी रंग की साफ धुली हुई धोती पहनी जा सकती है।
18. शाबर मंत्र साधना यदि अधूरी छूट जाय या साधना में कोई कमी रह जाय तो किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती।
19. अधिकांश शाबर साधनाओं में साधना के समय भयानक अनुभव होते हैं, विचित्र आवाजें भी सुनाई देती हैं, या डरावनी शक्लें भी दृष्टिगोचर होती हैं। अतः साधक को धैर्य व साहस धारण करना चाहिए।
20. जप के समय यह ध्यान रखें कि मंत्र का जो स्वरूप है, उसी के अनुसार उच्चारण करें। मंत्र में प्रयुक्त अक्षर, शब्द या भाषा को शुद्ध करने या संशोधित करने का प्रयास कभी न करें।
21. मंत्रों का जप बिना ठहरे (विराम लिये बिना) तेजी से एक प्रवाह में करें। इन मंत्रों में अर्द्ध या पूर्ण विराम का महत्त्व नहीं होता।
22. साधक यह ध्यान रखे कि सम्बंधित शाबर मंत्र का प्रचार व प्रदर्शन मंत्र की शक्ति को क्षीण करता है। अतः साधना पद्धति तथा सिद्धि को गोपनीय रखना चाहिए।
23. शाबर साधना के प्रारंभिक साधक को शाबर मेरू मंत्र का जाप प्रत्येक साधना के प्रारंभ में अवश्य कर लेना चाहिए।
24. शाबर मंत्र की उच्चस्तरीय साधनाओं में रक्षा मंत्रों का जप अनिवार्य होता है। इसके अतिरिक्त साधना रक्षक प्रयोग एवं मंत्र सिद्धि के लिए विशिष्ट साधकों से/ योग्य मार्गदर्शक से सहायता प्राप्त करनी चाहिए।
25. सिद्धि के पश्चात परोपकार एवं लोक कल्याणकारी भावना से सिद्धि का प्रयोग करें। किसी को कष्ट पहुंचाने की इच्छा से कदापि साधना न करें। मारण एवं वशीकरण के प्रयोग साधक को भूलकर भी नहीं करने चाहियें। ऐसे प्रयोग साधक का अधःपतन कर देते हैं, और कालान्तर में प्रकृत्ति के विधान के अनुसार साधक को भयंकर दण्ड भोगना पड़ता है।
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Dr.R.B.Dhawan, (Astrological Consultation), top astrologer in india शाबर मंत्र साधना से पहले :- शाबर मंत्रों की साधना के लिए वैदिक एवं तंत्रोक्त मंत्रों की तरह कड़े व जटिल नियम नहीं हैं। इसी कारण शाबर मंत्रों की साधना कठिन नहीं है, मंत्रों की सरलता के साथ इनका विधान भी सरल है। परंतु फिर भी शाबर मंत्रों…