दीपावली पूजा विधान एवं मुहूर्त 2019
Dr.R.B.Dhawan, (Astrological Consultant), best top astrologer in delh, best top astrologer in india
कार्तिकस्यासिते पक्षे लक्ष्मीर्निदां विमुंचति।
स च दीपावली प्रोक्ताः सर्व कल्याणरूपिणी।।
ज्योतिर्निबन्ध लक्ष्मी पूजन दीप दानादि के लिये कार्तिक अमावस, प्रदोषकाल की विशेषता मानी गई है –
कार्तिक प्रदोषे तु विशेषेण अमावस्या निशाबर्ध के।
तस्यां सम्पूज्येत् देवीं भोगमोक्ष प्रदायिनीम्।।
(भविष्य पुराण)
श्री महालक्ष्मी पूजन एवं दीपावली का महापर्व कार्तिक कृष्ण अमावस का आरम्भ 27 अक्तूबर 2019 दिन के 12ः23 बजे हो रहा है। प्रदोष काल 17ः41 से 20ः17 तक है। कार्तिक अमावस सम्पूर्णरात्रि व्यापिनी है, यह विशेष रूप से शुभ होती है।
दीपावली की शाम (प्रदोषकाल) में स्नान उपरांत स्वच्छ वस्त्राभूषण धारण करके धर्मस्थल पर मंत्रपूर्वक दीपदान करके अपने निवास स्थान पर श्री गणेश सहित महालक्ष्मी, कुबेर, महाकाली पूजनादि करके अल्पाहार करना चाहिये। तदुपरांत यथोपल्बध प्रदोष, निशीथ आदि शुभ मुहूर्तों में मंत्र जप, यंत्र सिद्धि आदि अनुष्ठान सम्पादित करने चाहिये, दीपावली पूजन के पश्चात् घर में चैमुखा दीपक रात्रिभर प्रज्जवलित रहना सौभाग्य एवं लक्ष्मी वृद्धि का द्योतक माना जाता है।
इस वर्ष 27 अक्टूबर 2019 दिन रविवार को कार्तिक अमावस, दीपावली चित्रा नक्षत्र, प्रदोष काल एवं सम्पूर्णरात्रि व्यापिनी अमावस्या युक्त होने से विशेष लाभप्रद रहेगी। रविवार की दीपावली मंत्र जप, सिद्धि तथा तांत्रिक प्रयोगों के लिये विशेष रूप से उत्तम मानी गई है। इस दिन स्थिर वृष लग्न का मुहूर्त 18ः40 से 20ः35 तक रहेगा। निशिथकाल 20ः20 से 22ः54 तक रहेगा।
इस प्रकार प्रथम मुहूर्त वृष लग्न में –
18ः40 से 20ः17 तक रहेगा।
द्वितीय मुहूर्त मध्य रात्रि –
01ः42 से 03ः18 तक रहेगा, यह दोनो मुहूर्त शुभ हैं।
दिन का चौघडिया घ. मि.-
उद्वेग 06ः29 से 07ः53
चर 07ः53 से 09ः17
लाभ 09ः17 से 10ः41
अमृत 10ः41 से 12ः05
काल 12ः05 से 13ः28
शुभ 13ः28 से 14ः52
रोग 14ः52 से 16ः16
उद्वेग 16ः16 से 17ः40
रात्रि की चौघड़िया घ. मि.-
शुभ 17ः40 से 19ः16
अमृत 19ः16 से 20ः52
चर 20ः52 से 22ः28
रोग 22ः28 से 24ः06
काल 24ः06 से 01ः42
लाभ 01ः42 से 03ः18
उद्वेग 03ः18 से 04ः54
शुभ 04ः54 से 06ः30
दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त का महत्व:-
महालक्ष्मी पूजन का ठीक समय मालूम न होने से पूजन का पूर्णफल नहीं मिल पाता। अतः इस वर्ष 27 अक्टूबर 2019 रविवार की रात्रि को 18ः40 से 20ः17 तक। श्री महालक्ष्मी पूजन, मंत्र, जप, तंत्र पाठादि साधनाओं के लिये अमावस सहित प्रदोष, निशीथकाल स्थिर लग्न श्रेष्ठ होगा।
पूजा विधि:- सर्वप्रथम गणेश लक्ष्मी का चित्र तथा श्री यंत्र को जल से पवित्र करके लाल वस्त्र से अच्छादित चैकी पर स्थापित करें लाल कम्बल या ऊन के आसन को बिछाकर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख बैठें। पूजन सामग्री निम्नलिखित प्रकार से रखें। बाँयीं ओर जल से भरा पात्र, घंटी, धूपदान, तेल का दीप। दांयी ओर घृत का दीपक, जल से भरा शंख। सामने घिसा चन्दन, रोली, मौली, पुष्प, अक्षत आदि। भगवान के सामने चैकी पर नैवेद्य। अब निम्न मंत्र से पूजन सामग्री सहित स्वयं पर जल छिड़कें।
ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं से बाह्याम्यन्तरः शुचि।।
चौकी के बांये ओर घी का दीपक प्रज्जवलित करें। अब दाँये हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर निम्न मंत्रो से स्वस्तिवाचन करें:-
ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वास्तिनः पूषा विश्ववेदाः। स्वास्ति नस्ताक्ष्या अरिष्टनेमि स्वस्ति नस्ताक्ष्या अरष्टिनेमिः स्वास्तिनो वृहस्पर्तिदधातु।। पयः पृथिव्यांपय ओषधीषु पयो दिव्यन्तरिक्षे पयोधा। पयस्वती प्रदिशः सन्तु मह्मम् । विष्णो रराटमसि विष्णोः श्नप्त्रेश्यो विश्णोः स्यूरसि विष्णो धु्रवोऽसि। वैष्णवमसि विष्णवे त्वा।। अग्नि देवता वातो देवतां सूर्योदेवता चन्द्रमा देवताव्व सर्पो देवता, रूद्रोदेवता, आदित्या देवता, मरूतोदेवता, विश्वेदेवा देवता, बृहस्पति देवतेन्द्रोदेवता वरूणोदेवता।। ॐ शांति शांति सुशांतिर्भवतु सर्वारिष्ट शांति र्भवतु।।
अब निम्नलिखित मंत्रों से गणेश जी का हाथ में अक्षत पुष्प लेकर स्मरण करेंः-
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णक। लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः।। धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः। द्वदशैतानी नामानि यः पठेच्द्धणुयादापि।।
अब निम्नलिखित मंत्रों से देवताओं का स्मरण करें:-
श्री मंत्रहागणाधिपतये नमः। लक्ष्मी- नारायणाच्यां नमः उमा महेश्राभ्यां नमः। वाणी हिरण्यगर्भाम्यां नमः। शचीपुरन्दराभ्यां नमः। मातृपितृचरण कमलेभ्यो नमः। इष्टदेवताभ्यो नमः। कुलदेवताभ्यो नमः। ग्रामदेवताभ्यो नमः। वास्तुदेवताभ्यो नमः। स्थान देवताभ्यो नमः सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः। सर्वेभ्यो ब्राह्मणेम्यो नमः ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन्म हागणाधिपतये नमः।
अब निम्न मंत्र का उच्चारण करे:-
विनायकम् गुरूं भानु ब्रह्मविष्णु महेश्वरान्।
सरस्वतीम् प्रणम्यादौ सर्वकार्यर्थ सिद्धये।।
हाथ में कुछ पुष्प, अक्षत लेकर चौकी पर अर्पित करें अब एक सुपारी लेकर उस पर मौली लपेटकर चैकी पर थोडे चावल रखकर सुपारी को उस पर रख दें। अब गणेशजी का आवाहन करें।
ॐ गणानांत्वा गणपति ॐ हवामहे प्रियणांत्वा प्रियपति ॐ हवामहे निधीनां त्वा निधिपति ॐ हवामहे वसो मम। आहमजानि गर्मधमा त्वमजासि गर्भधम्।
ॐ भूर्भुवः स्वः सिद्धिबुदिसहिताय गणतये नमः गणपतिमावा-हयामी, स्थापयामि, पूजयामि च।
अब निम्न मंत्र से गणेशजी की प्रतिष्ठा करें। आसन दें।
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणांः क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन।।
गजाननं। सुप्रतिष्ठिते वरदे भवेताम्।।
प्रतिष्ठापूर्वकम् आसनार्थे अक्षतान्ं समर्पयमि गजाननाम्यां नमः।
पुनः अक्षत लेकर गणेश जी के दाहिनी ओर माता अम्बिका का आवाहन करें।
ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके न मा नयति कश्चन।
ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकां काम्पीलवासिनीम्।
हेमाद्रितनया देवीं वरदां शंकर प्रियाम।
लम्बोदरस्य जननीं गौरी मावाहयामियहंम।।
ॐ भूभुर्वः स्वः गौर्ये नमः गौरी मावाहयामि, स्थापयमि पूज्यामि च। अक्षत चैकी पर छोड दें।
अब पुनः अक्षत लेकर माता अम्बिके की प्रतिष्ठा करें।
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्व मर्चायै मामहेति च कश्चन।।
अम्बिके सुप्रतिष्ठिते वरदे भवेताम्।
प्रतिष्ठापूर्वकम आसनार्थ अक्षतान समर्थयामि गणेशाम्बिकाम्यां नमः।
कहते हुये आसन पर अक्षत समर्पित करें।
सकंल्प:- उर्पयुक्त प्रक्रिया के बाद दाहिने हाथ में अक्ष्त, पुष्प, दर्वा, सुपारी जल तथा दक्षिणा लेकर निम्नलिखित प्रकार से सकंल्प करें।
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्री मद्धगवतो महापुरूषस्य विष्णो राज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽहिृ द्वितीयपरार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविशतितमे कलियुगे कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्ष आर्यावूेर्तकदेश ………… नगरे/ग्रामे/क्षेत्रे 2076 वैक्रमाब्दे विकारीनाम संवत्सर कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस्यायाम् तिथौ रविवासरे रात्रि काले स्थिर लगने शुभ मुहूर्ते ……… गोत्र ………. (शर्मा, वर्मा जो हो) अहं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलावाप्तिकामनया ज्ञाता ज्ञातकायिक दीर्घायुब्बल पुष्टिनैरूज्यारि सकल शुभ फल प्राप्तयर्थ गज तुरंगरथ राज्यैश्वर्यादि सकल सम्पदाम् उत्तरोतरामि वृदध्यर्थम् श्री महालक्ष्मी पूजनं करिष्ये तदंगत्वेन प्रथम गणपत्यादिपूजनं च करिष्ये।
उक्त सकंल्प पढ़कर जलाक्षतादि गणेशजी के समीप छोड़ दें। बाद इसके गणेशजी का पूजन करें।
गणेशजी का पूजन:- हाथ में अक्षत चावल लेकर निम्न मंत्र से गणेशाम्बिका का ध्यान करें-
कपित्थजम्बूफल चारूमक्षणम्।
गजाननं भूतगणादिसेवितं
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विध्नेश्वेरपादपकजम्।।
नमो देव्यौ महादेव्यौ शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्राये नियताः प्रणताः स्मताम्।।
श्री गणेशाम्बिकाम्यां नमः कहकर हाथ में लिये हुये अक्षतों को भगवान गणेश एवं माता गौरी को समर्पित करें। अब गणेशजी का पूजन निम्न प्रकार से करें। तीन बार जल की छींटे दें और बोलें। पाद्यं अर्घयं आचमनीयं। सर्वांगेस्नानं समर्पयामि। जल की छींटें दें।
पंचामृत सर्वागेंस्नानं सर्मपयमि। पंचामृत से स्नान करायें पंचामृत स्नांनान्ते शुद्धोदक सर्वागेंस्नानं सर्मपयामि। शुद्ध जल से स्नान करायें।
सुवासितं इत्रमं सर्मपयामि। जल के छींटें दें बाद में इत्र चढ़ायें।
वस्त्रं समर्पयामि। वस्त्र अथवा मौली चढ़ायें।
यज्ञोपवीत् समर्पयामि। यज्ञोपवीत चढ़ायें।
आचमनीयम् समर्पयामि। जल का छींटा दें।
गन्ध समर्पयामि। रोली अथवा लाल चन्दन चढ़ायें।
अक्षतान समर्पयामि। चावल चढ़ायें।
मदांर पुष्पाणि सर्मपयामि। सफेद आंक के फूल चढ़ाये।
शमीपत्र समर्पयामि। शमीपत्र चढ़ायें।
दुर्वाकंरान सर्मपयामि। दुर्वा चढायें।
सिन्दूर सर्मपयामि। सिन्दूर चढ़ायें।
धूपं अर्घयामि। धूप करें।
दीपक दर्शयामि। दीपक दिखायें।
नैवेद्यम् सर्मपयामि। प्रसाद चढ़ायें।
आचमंन समर्पयामि। जल के छींटें दें।
ताम्बूल समर्पयामि। पान सुपारी इलायची आदि चढ़ायें।
नारिकेल फलं समर्पयामि। नारियल चढ़ायें।
ऋतुफलं समर्पयामि। ऋतुफल चढ़ायें।
दक्षिणा सर्मपयामि। पैसे चढ़ायें।
कर्पूरनीराजनं सर्मपयामि। कर्पूर आरती करें।
नमस्कारं सर्मपयामि। नमस्कार करें।
पूजन के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करें इस प्रकार करें-
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,
लम्बोदराय सकलाय जगद्विवाय।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
भक्तार्तिनाशनपराय गणेश्वराय।
सर्वेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय।
लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय।
गौरी सुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
भक्तार्तिनाशनपराय गणेश्वराय,
सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय।
भक्तप्रसन्न वरदाय नमो नमस्ते।।
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नमः।।
विश्व रूपस्वरूपाय नमस्ते, ब्रह्मचारिणे।
भक्ताप्रियाय देवाय नमस्तुम्यं सततं मोदक प्रिय।
निविघर््नं कुरू में देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति।
विद्याप्रदेत्याघर हेति च ये स्तुवन्ति
तैम्यो गणेश वर दो भव नित्यमेव।।
अब हाथ में पुष्प लेकर निम्न मंत्र को उच्चारित करते हुये समस्त पूजनकर्म भगवान गणेश को अर्पित कर दें।
गणेशपूजने कर्म न्यूनमाधिकं कृतमं।
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोऽस्तु सदा मम।।
अनयः पूजया सिद्धिबुद्धिसहितो।
महागणपतिः प्रीयताः न मम।।
शंख स्थापन एवं पूजन:- चौकी पर दाँयीं ओर के शंख को थोडे से अक्षत् डालकर स्थापित करना चाहिये। शंख का चन्दन अथवा रोली से पूजन करें। अक्षत चढ़ायें, अन्त में पुष्प चढ़ायें और निम्नलिखित मंत्र की सहायता से प्रार्थना करें:-
त्वां पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विघृतः करे।
निर्मितः सर्वदेवैश्च पांचजन्य नमोऽस्तुते।।
कलश स्थापना एवं पूजन:- चौकी के पास उत्तर पूरब (ईशान) में धान्य धान जौ आदि पर कलश स्थापित करें। अब हाथ में अक्षत लेकर तथा पुष्प लेकर कलश के ऊपर चारों वेद एवं अन्य देवी-देवताओं का निम्नलिखित मंत्र के द्वारा आव्हान करें।
कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रूद्र समाश्रितः।
मूल त्वस्यं स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः समृताः।
कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्तद्धीपा वसुन्धरा।
ऋगवेदोऽथ यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः।
अगैंश्च सहिताः सर्वे कलंश तु समाश्रिताः।
अत्र गायत्री सावित्री शन्ति पुष्टिकरी तथा
सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थानि जलदा नदाः।
आयान्तु देवपूजार्थ दुरित क्षय कारकाः।
गगें च चमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धुकावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरू।
उक्त आव्हान के पश्चात् गन्ध, अक्षत, पुष्प आदि से कलश एवं उसमें स्थापित देवों का पूजन करें तदुपरांत सभी देवों को नमस्कार करें।
कलश स्थापन एवं पूजन के उपरांत नवग्रह एवं षोडशमातृका का पूजन यदि सम्भव हो सके तो मण्डप बनाकर करें अन्यथा नवग्रह एवं षोडशमातृका को चौकी पर स्थान देते हुये मानसिक पूजन कर लेना चाहिये।
लक्ष्मी पूजन:- समस्त प्रक्रिया के पश्चात् सर्वप्रथम भगवती श्री महालक्ष्मी का पूजन करना चाहिये। पूजन के लिये महालक्ष्मी का नया चित्र, श्रीयंत्र तथा द्रव्य लक्ष्मी (सोने चाँदी के सिक्के) आदि की अक्षत् छोड़कर प्रतिष्ठा करें:-
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन।।
ध्यान:- तदुपरान्त हाथ में लाल कमल पुष्प लेकर निम्न मंत्र से देवी लक्ष्मी का ध्यान करें:-
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलत मांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवती हरिवल्ल में मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीद मह्मम्।।
इसके बाद ध्यान के लिये लक्ष्मी को कमल या गुलाब अर्पित करें।
आव्हान:- हाथ में पुष्प लेकर देवी का आव्हान करें।
सर्वलोकस्य जननी सर्व सौख्य प्रदायिनीम्।
सर्व देवी देव मयी मीशां देवी आवाहयाम्।।
अब पुष्प अर्पित करें।
आसन:- निम्न मंत्र से देवी को आसन अर्पित करें:-
तप्तकाचंनवर्णाभं मुक्ता मणि विराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रति गृह्यताम।।
आसन के लिये कमल पुष्प दें।
पाद्य:- निम्न मंत्र से देवी को जल में पुष्प चन्द आदि मिलाकर अर्पित करें।
गंगादितीर्थसम्भूतं गन्ध पुष्पादि भिर्युतम्।
पाद्यं ददाम्यहं देवि गृहाणाशु नमोऽस्तुते।।
ऊँ महालक्ष्मै नमः पादयो पाद्यं समर्पयामि।।
अर्घय:- अष्टगन्ध मिश्रित जल से अर्घय दें।
अष्टगन्धसमायुक्तं स्वर्ण पात्र प्रपूरितम।
अर्घय गृहाण मद्दत्तं महालक्ष्मी नमोऽस्तुते।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः अर्घय समर्पयामि।।
स्नान:- निम्न मंत्र से स्नान करायें।
मन्दाकिन्याः समानी तैहेमाम्नो रूहवासितै।
स्नान कुरूष्व देवेशि सलिलैश्च सुगन्धिभिः।।
ॐ महालक्ष्मी नमः। स्नानं समर्पयामि।।
पंचामृत स्नान:- अब देवी को घी, शहद, दुग्ध, शर्करा, दही से स्नान करायें:-
पयो दघि घृतं चैव मधु शर्करयाव्वितम्।
मन्चमृतं मयानीतं स्नानार्थ प्रतिगृह्याताम्।।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः। पंचामृत स्नानं समर्पयामि।।
शुद्धोदक स्नान:-
मन्दाकिन्यास्तु यद्धारि सर्वपाप हरं शुभम्। तदिदं कल्पितं तुम्य स्नानार्थ प्रातिगृह्यताम्।। ऊँ महालक्ष्म्यै नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयाकि।।
वस्त्र:-
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौम त्वतिमनोहरम। दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके।। ॐ महालक्ष्म्यै नमः। वस्त्र समर्पयामि।।
आभूषण:-
रत्नकंकणवैदूर्य मुक्ता हारादिकानि च। सुप्रसन्नने मनसा दत्तानि स्वीकुरूष्व भो।। ॐ महालक्ष्म्यै नमः आभूषणं समर्पयामि।।
गन्ध:-
श्री खण्ड चन्दनं दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरम। विलेपन सुरश्रेष्ठे चन्दन प्रतिगृह्यताम्। ॐ महालक्ष्म्यै नमः। गन्ध सर्मर्पयामि।।
सिन्दूर:-
सिंदूर रक्तवर्ण च सिन्दूर तिलक प्रिये। भक्त्या दंत्त मया देवी सिन्दूर प्रतिगृह्यताम।। ॐ महालक्ष्म्यै नमः। सिन्दूर सर्मपयामि।
कुमकुम:-
तैलानि च सुगन्धीनि द्रव्याणि विविधानि च। मया दत्तानि लेपार्थ गृहाण परमेश्वरी ।। ॐ महालक्ष्म्यै नमः कुमकुम सर्मपयामि।।
अक्षत तथा पुष्प माला:-
माल्यादीनि सुगन्धि माल त्यादीनि वै प्रभो। मयानीतानि पुष्पमालाम् च समर्पयानि।।
धूप-दीप:-
साज्यं च वर्तिसयुक्तं वहिृना योजितं मया। दीपं गृहाण देवेशि त्रैलोक्यतिमिरायहम्। ॐ महालक्ष्म्यै नमः। दीपम् दर्शयामि।।
नैवेद्य:- किसी कटोरी में पान के पत्ते पर नैवेद्य (प्रसाद) रखकर ऊपर लौंग का जोड़ा अथवा इलायची रखें। मंत्र सहित अर्पित करें।
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च। आहारं भक्ष्यभोज्य च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्।। ॐ महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्य निवेदयामि उत्तरापोऽनार्थ हस्त प्रक्षालनार्थ मुखप्रक्षलानार्थ च जलं समर्पयामि। जल दें।
ऋतुफल दक्षिणा:-
इदं फलं मया देवी स्थापित पुरतस्तव। तेन में सफलावाप्तिर्भवेजन्मनि।। हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः। अननतपुण्यफलदमतः शान्ति प्रचच्छ मे।। ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ऋतुफल दक्षिणाम च समर्पयामि।।
आरती, पुष्पांजलि और प्रदक्षिणाः- पूजा के बाद आरती और पुष्पांजलि अनिवार्य है। अन्त प्रदक्षिणा का विधान भी हैं।
विशेष – गुरूजी द्वारा दीपावली की रात्रि में सिद्ध किए गए यंत्र प्राप्त करने के लिए सम्पर्क करें :- 09810143516, 09155669922
गुरूजी के लेख यहां भी देखें :- shukracharya.com, aapkabhavishya.com, aapkabhavishya.in, rbdhawan.wordpress.com, gurujiketotke.com, astroguruji.in
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