
किस पाये में जन्म हुआ है, आपका
Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant),
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बालक के जन्म समय पंडित जी से यह अवश्य पूछा जाता है कि बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है? आईये देखें जन्म समय के पाये का आखिर इतना महत्व क्यों है?:-
जन्म समय के अनुसार नक्षत्र और राशि के पाये को देखा जाता है, नक्षत्र का पाया शरीर और परिवार से जोडा जाता है, तथा राशि का पाया मानसिक सोच-विचार, सांसारिक स्थान और कार्य तथा विवाह आदि के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। पाये चार प्रकार के होते हैं –
1. स्वर्ण का पाया, 2. रजत (चांदी) का पाया, 3. ताम्र का पाया, 4. लौह का पाया।
1. स्वर्ण का पाया :- यदि बच्चे के जन्म समय जन्म नक्षत्र का पाया स्वर्ण का हो तो वह पाया सही माना जाता है, लेकिन राशि से स्वर्ण का पाया सही नही माना जाता है। जो पाया स्त्री के लिये सुखकारी होता है, वही पाया पुरुष के लिये हानिकारक माना जाता है। यदि स्त्री की कुंडली में जन्म राशि का पाया का स्वर्ण का है तो, वह उत्तम माना जाता है, परंतु पुरुष की कुंडली में राशि से स्वर्ण का पाया खराब माना जाता है।
पुरुष के स्वर्ण पाये में जन्म लेने से या तो उसके जीवन में अल्प आयु का योग होता है, अथवा वह आजीवन अपने अहम और बुद्धिमान समझने के कारण आगे नही बढ पाता है, इस कारण में एक बात और भी देखने में आती है कि, जातक को सांसारिक जीवन मे रमने में उसके माता-पिता अवरोधक रहते हैं, उसे गमले का गुलाब समझकर पाला जाता है।
जातक का स्थानन्तरण होता रहता है, इस प्रकार से व्यक्ति अपने सामाजिक पारिवारिक और व्यवहारिक जीवन में सही प्रकार घुल-मिल नही पाता है, फलस्वरूप वह एकान्त मे रहने वाला, और अपने काम को खुद करने के बाद सफ़लता का श्रेय नही लेने वाला होता है। सफ़लता के लिये जीवन की लडाई को लडना जरूरी होता है, और जब जीवन की लडाई दूसरो के भरोसे से लडी जाती है तो, कभी न कभी बडी असफ़लता हाथ से छूट ही जाती है, इस पाये के व्यक्ति को पिता का सुख कम मिलता है, अपने पारिवारिक जीवन से जैसे चाचा-चाची ताऊ-ताई दादा-दादी से दूरियां बनी रहती हैं।
2. रजत (चांदी) का पाया :- सभी मायनों मे यह पाया सही माना जाता है, यह स्त्री जातक के लिये भी और पुरुष जातक दोनो के लिये श्रेष्ठ माना जाता है। इस पाये में जन्म लेने वाले जातक अपने मानसिक कारणो को सम्भालने उन्हे बेलेन्स करने के लिये अपनी योग्यता को जाहिर करने के लिए जाने जाते हैं। सभी प्रकार के कार्य जो उसके जीवन के लिये प्रभावी होते हैं, वह सामाजिकता रीति से एक दूसरे के मानसिक गुण-दोष को जल्दी समझ लेने से पूरा कर लेते हैं।
इन्हें अपने जीवन में लोगो की बुरी सोच का परिणाम भी सफ़लता के लिये आगे बढाने वाला सिद्ध होता है, वह किसी कार्य के गलत होने पर उस से शिक्षा ग्रहण करते हैं, माता के साथ इनके सम्बन्ध अच्छे रहते हैं, पिता का ही लगाव सही रहता है लेकिन बहिनो की संख्या और स्त्री संतान की अधिकता होना देखने में आता है, इस पाये में जन्म लेने वाले जातक पानी के किनारे रहने, पानी सम्बन्धी काम करने मे अधिक सफलता प्राप्त करते हैं।
3. ताम्र का पाया :- इस पाये में जन्म लेने वाले जातक का तकनीकी दिमाग अच्छा होता है, जातक बात का भी धनी होता है, लम्बी आयु को जीने वाला होता है, धन की कमी जातक को नही अखरती है, वह अपने व्यवहार आदि से धन के क्षेत्र को कायम रखने वाला होता है, खुद के लोग उस पर भरोसा करने वाले होते हैं, जातक जो भी बात करता है, उसे निभाने वाला होता है, समय पर दूसरों के काम आने वाला होता है, लेकिन अपने जीवन को दूसरो के प्रति बलिदान करने वाला भी होता है।
जमीन जायदाद अचल सम्पत्ति और खनिज आदि कारको मे आगे बढता जाता है। भाइयों के लिये, मित्रो के लिये, और जान पहिचान वालो के लिये, जीवन को बचाने वाला रोजाना की जिन्दगी मे अपने को आगे ही आगे बढाने वाला होता है। सन्तान सुख मे कमी रहती है, लेकिन जो भी सन्तान होती है, वह नाम कमाने वाली और परिवार का नाम रोशन करने वाली होती है, मर्यादा में तथा कायदे से चलने वाली होती है, जीवन साथी से मतभेद होना और किसी न किसी बात पर आपसी कलह को भी होता देखा जाता है, लेकिन जीवन-साथी से दूरिया नही हो पाती हैं, कुछ समय के लिये आपसी कलह तो हो सकती है, लेकिन हमेशा के लिये नही माना जा सकता है, जातक स्वादिष्ट भोजन का प्रेमी होता है, जातक का हाजमा भी सही रहता है, और जातक को भूख भी बहुत लगती है, तीखे भोजन मे जातक की अधिक रुचि होती है।
4. लोहे का पाया :- लोहे का पाया खराब माना जाता है, इस पाये में जन्म लेने वाले जातक या जातिका आलसी प्रवृत्ति के होते हैं, चालाकी से काम करना एकान्त में रहना मेहनत वाले काम करने के बाद केवल जीविका को चलाने के लिये माने जाते हैं, दूसरो की सेवा करना, और अपने श्रम के आधार पर ही जीवन को चलाना इस जातक के मानसिक गुण-दोष माने जाते हैं, इनकी सन्तान भी आलसी होती है, साथ ही जीवन मे कब पैदा हुये, और कब मर गये ? इसका भी प्रभाव नाम और धन के मामले में उजागर नही हो पाता है। यह जातक माता पिता के लिये भी कष्टकारी होते हैं, विद्या के क्षेत्र मे कमी रहती है, विवाह आदि के मामले में सरलता से जीवन नही चल पाता है, जीवन साथी को एक प्रकार से जातक को ढो कर ले कर चलने वाली बात को माना जाता है। वह बात चाहे अस्पताल सम्बन्धी कारण से बनी हो, या जातक की अकर्मण्यता से मानी जाती हो, जातक को शराब कबाब तामसी और नशे की आदते भी हो जाती हैं, निम्न स्तरीय लोगो से मित्रता और निम्न स्तरीय काम करने जुआ लाटरी सट्टा आदि के क्षेत्र मे इनकी अधिक रुचि देखी जाती है, खेल कूद मे भी कम मन लगता है, इस पाये में जन्म लेने वाले जातक दूसरो को लडाकर खुद मजा लेने वाले भी इसी पाये मे जन्म लिये हुये देखे गये हैं । हिंसा से इनकी बहुत अधिक प्रीति देखी जाती है, दया भाव की कमी होती है, ऐसे लोग अपने ही लोगो को ठगा भी करते हैं, और धोखा भी देते देखे गये हैं।
उपाय :- स्वर्ण के पाये मे जन्म लेने वाले जातक को सोने मे हरे रंग के नगीने पिरोकर गले मे पहिनना चाहिये, जिससे उनके जीवन मे आहत करने वाले कारण कम होते हैं, नारियल का दान देते रहना चाहिये, पिता की आयु की बढोत्तरी के लिये रोजाना सूर्य को अर्घ देना चाहिये, पराये धन और स्त्री पुरुष से सम्बन्धो के मामले मे बचना चाहिये, कारण की इस पाये मे जन्म लेने वाले को यौन सम्बन्धी बीमारियां अधिक होती हैं, धारी वाले कपडे पहिनने से भी इस पाये का दोष कम हो जता है, हाथ मे कलावा बांधने से भी दोष मे कमी होती है, धार्मिक स्थानो में जाना और माथा टेकते रहने से भी दोष कम होता है।
उपाय :- रजत (चांदी) के पाये वाले जातक को तीर्थ स्थानों मे जाते रहना चाहिये, और तीर्थ स्थान के जल को अपने घर में या सोने वाले कमरे मे ऊंचे स्थान पर रखना चाहिये, माता के कष्ट को दूर करने के लिये रोजाना शिव स्तोत्र का पाठ करना चाहिये, चांदी के पात्र मे पानी या दूध पीना चाहिये, हरे रंग के कपड़ों का अधिक प्रयोग करना चाहिये, ठगी चालाकी आदि के कामों से दूर रहना चाहिये।
उपाय :- ताम्र के पाये के दोष की शांति के लिये मन्दिरों में या दान के स्थानों में भोजन का दान करना चाहिये, तांबे की कोई न कोई वस्तु अपने पास रखनी चाहिये, भोजन मे मिर्च का अधिक प्रयोग नही करना चाहिये, मीठा भी कम ही लेना चाहिये, भाइयों की सेवा करने से और मित्र का सहयोग करने से भी इस पाये का दोष कम हो जाता है।
उपाय :- लौहे के पाये मे जन्म लेने वाले जातक को अपने वजन के बराबर का लोहा शनि स्थान मे दान करना चाहिये, आलसी प्रभाव को रोकने के लिये मिर्च का अधिक सेवन करना चाहिये, लेकिन काली मिर्च का सेवन ही सुखकारी होता है, आंखो की ज्योति को बढाने के लिये घी काली मिर्च और बतासे को आग मे पका कर रोजाना सुबह को प्रयोग मे लेना चाहिये तुलसी की पत्ती काली मिर्च और नीम की पत्तियों को रोजाना बासी पेट लेने से भी इस पाये का दोष दूर होता है, लोहे का छल्ला दाहिने हाथ में स्त्री और पुरुष दोनो को मध्यमा उंगली मे पहिनने से भी परिवार की कलह और घर के मतभेद दूर होते हैं।
ज्योतिषीय परामर्श हेतु सम्पर्क कर सकते हैं :- 09810143516, 091556 69922
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