ज्योतिष में उपग्रह -धूम

Dr.R.B.Dhawan (Guruji),
Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.

जन्म कुंडली में नवग्रहों के अलावा भी कुछ ग्रह ऐसे होते हैं, जिनको अप्रकाश ग्रह कहा जाता है, अप्रकाश का मतलब यह है कि, वह आकाश में दिखाई ही नहीं देते, लेकिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार उनकी स्थिति का पता लगाया जा सकता है। दिखाई नहीं देते तो भी वह अप्रकाश ग्रह जन्म कुंडली में अपना प्रभाव काफी हद तक दिखाते हैं। इन अप्रकाश ग्रहों को नौ ग्रहों के उपग्रह भी कहा जाता है। यहां वृद्ध पराशर होरा शास्त्र के षष्ट अध्याय में (छठे अध्याय में) अप्रकाश ग्रहों का फल बताया गया है, इसमें सबसे पहले आचार्य पाराशर महाराज ने धूम ग्रह का फल बताया है-

– धूम ग्रह की स्थिति यदि लग्न में हो तो, वह जातक शूरवीर होता है, निर्मल नेत्रों वाला होता है, हटी होता है, घृणा से रहित होता है, दुष्ट बुद्धि और महा क्रोधी होता है।

– यदि धूम ग्रह की स्थिति द्वितीय भाव में हो तो जातक धनी होता है, रोगी भी होता है, अंग हीन भी होता है, राज पक्ष से चिंता शील, मूर्ख और नपुंसक होता है।

– अगर धूम ग्रह की स्थिति तृतीय स्थान में हो तो, वह जातक बुद्धिमान होता है, संग्राम में धीर होता है, अर्थात अगर कहीं कंपटीशन या मुकाबले की जरूरत पड़ती है तो, उसमें बड़े धैर्य से सोच समझकर विजयी होता है, मीठी भाषा बोलने वाला होता है, शांत चित्त वाला तथा धनवान होता है।

– अब यदि धूम ग्रह की स्थिति चतुर्थ स्थान में हो तो, वह जातक अपने जीवन साथी से हीन बताया गया है, चिंता शील रहने वाला शास्त्र व्यसनी होता है।

– धूम ग्रह की स्थिति अगर पांचवें स्थान में हो तो, कम संतान वाला होता है, धन हीन (धन की कमी होती है) स्थूलकाय होता है यानी भारी शरीर वाला। सर्व भक्षी यानी मास या शाकाहार सब कुछ खाने वाला मित्रों से रहित होता है।

– छठे स्थान में धूम की स्थिति जातक को बलवान बनाती है, शत्रु को पराजित करने वाला बनाती है, वह तेजस्वी होता है, निरोगी रहता है, और विख्यात होता है।

– धूम की स्थिति अगर सातवें स्थान में हो तो, जातक को दरिद्री बनाती है, यानी धन की कमी होती है, उसके पास धन की कमी होती है, अति कामी बनाती है, लंपट बनाती है, कांति रहित होता है वह जातक।

– आठवें स्थान में धूम की स्थिति हो तो, जातक हिम्मतवाला, उत्साही, सत्य बोलने वाला, निष्ठुर, तथा कठोर वृत्ति वाला होता है।

– नवें स्थान में धूम की स्थिति हो तो जातक धनी होता है मानी होता है बंधुओं से प्रेम करने वाला होता है ऐश्वर्या साली होता है बहुत से लोगों को पालने वाला कहा गया है। मतलब बहुत से लोग उस पर आश्रित होते हैं।

– कुंडली के दसवें भाव में अगर धूम की स्थिति हो तो, वह जातक संतान तथा ऐश्वर्य और संपन्नता, बुद्धिमानी युक्त, भौतिक सुख प्राप्त करने वाला, और साथ ही साथ सत्य बोलने वाला होता है।

– एकादश भाव में धूम की स्थिति हो तो, वह जातक धन संपत्ति से युक्त रूपवान (बहुत सुंदर), कला का प्रेमी, विनीत और गान विद्या में निपुण होता है।

– द्वादश भाव में धूम की स्थिति हो तो जातक पतित पापी लंपट पर स्त्री गामी व्यसनी और दुष्ट प्रकृति का होता है।

यह जो उपग्रहों के फल बताए गए हैं इनकी पुष्टि करने के लिए संबंधित भाव और संबंधित कारक ग्रहों पर भी विचार कर लेना चाहिए।

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