स्त्री जातक

Dr.R.B.Dhawan (Guruji),
Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.

जातक पारिजात अध्याय 16, श्लोक नंबर 2 में स्त्री जातक अध्याय में आचार्य वैद्यनाथ बताते हैं- https://youtu.be/w_7ap3I-xBo

स्त्रियां पति के लिए द्रव्य उपार्जन यानी धन कमाने में सहायक होती हैं, आपत्ति रूपी समुद्र को पार करने में एक जहाज की तरह उपयोगी होती हैं, और जीवन यात्रा काल में मंत्री की तरह सहायक होती हैं, अर्थात जैसे मंत्री उचित सलाह देता है, उसी प्रकार जीवन यात्रा में, उचित मार्ग के लिए मार्गदर्शन कराती हैं।

अध्याय 16, श्लोक नंबर 4 के अनुसार आचार्य वैद्यनाथ कहते हैं- चंद्रमा और लग्न में, इनमें जो बलवान हो, उससे शरीर का दु:ख सुख कहना चाहिए। अर्थात स्त्री की कुंडली में स्वास्थ्य संबंधी सभी बातें और शरीर की रूप सौंदर्य संबंधी सब बातें लग्न यदि बलवान हो तो, लग्न से कहना चाहिए, चंद्रमा बलवान हो तो, चंद्रमा से कहना चाहिए।

पति के सभी गुण या अवगुण स्त्री की कुंडली में सप्तम स्थान से कहने चाहिए।

पति की मृत्यु का विचार स्त्री की कुंडली के आठवें घर से करना चाहिए।

स्त्री की कुंडली में सभी बातें अर्थात शुभ ग्रहों के बल से और पाप ग्रहों के बल को जानकर अच्छी तरह विचार करके कहना चाहिए।

जातक पारिजात अध्याय 16, स्त्री जातक अध्याय के श्लोक नंबर 5 और 6 में रचनाकार आचार्य वैद्यनाथ कहते हैं-

स्त्रियों के जन्म कुंडली में यह देखो कि चंद्रमा बली है, या लग्न बली है, उसी के अनुसार उसका स्वरूप आकृति सुंदरता आदि का विचार करना चाहिए।

संतान के विषय में विचार नवम भाव से करना चाहिए, इसी भाव से ही पति की आय और सम्रद्धि-वृद्धि का विचार करना चाहिए।

स्त्री सधवा रहेगी या विधवा होगी? और इन समस्त बातों का विचार स्त्री की कुंडली के आठवें घर से करना चाहिए।

पति सुखा विचार स्त्री की कुंडली में सप्तम स्थान से करना चाहिए।

आचार्य वैद्यनाथ स्पष्ट रूप से कहते हैं की- लग्न से अष्टम स्थान वैधव्य का विचार करने के लिए उपयुक्त स्थान है।

स्त्री की कुंडली में तेजस, यश, संपत्ति आदि का विचार लग्न से भी करना चाहिए।

स्त्री की कुंडली में सन्यास का विचार नवम भाव से करना चाहिए, यदि नवम स्थान में 4 ग्रह है तो, सन्यास के कारक योग बनते है।

स्त्री की कुंडली में अत्यंत सुख सौभाग्य और समृद्धि का विचार नवम स्थान से करना चाहिए, बाकी जितने योग बताए जाते हैं, पुरुष जातक की कुंडली में वह सभी स्त्री की कुंडली में भी पुरुषों के समान फलित होते हैं।

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Dr.R.B.Dhawan (Guruji),Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience. जातक पारिजात अध्याय 16, श्लोक नंबर 2 में स्त्री जातक अध्याय में आचार्य वैद्यनाथ बताते हैं- https://youtu.be/w_7ap3I-xBo स्त्रियां पति के लिए द्रव्य उपार्जन यानी धन कमाने में सहायक होती हैं, आपत्ति रूपी समुद्र को पार करने में एक जहाज की तरह उपयोगी होती…