लघुपराशरी -3
त्रिकोण भाव और त्रिषडाय भाव-
Dr.R.B.Dhawan (Guruji),
Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.
सर्वे त्रिकोणनेतारो ग्रहाः शुभफलप्रदा।
पतयत्रिषडायानां यदि पापफलप्रदाः।। 6।।
लघुपराशरी श्लोक संख्या -6
इस श्लोक में आचार्य वराहमिहिर ने शुभ और अशुभ स्थानों की चर्चा करते हुए कहा है-
कोई ग्रह त्रिकोण (1-5-9 स्थान) का स्वामी हो तो, शुभफलदायक होता है।
कोई ग्रह त्रिषडाय (3-6-11 स्थान) का स्वामी हो तो पापफलदायक होता है।
1. कोई भी ग्रह (नैसर्गिक शुभ या अशुभ) यदि त्रिकोण स्थान का स्वामी हो तो, वह सदा शुभ होता है। वह ग्रह यदि स्वाभाविक शुभ ग्रह हो तो, अधिक शुभ होता है।
त्रिकोण स्थान में विद्या और धर्म की वृद्धि से क्रूर व्यक्ति में भी साधुत्व वाले गुण आने लगते हैं। साथ ही जिस का नियंत्रण अपने शरीर पर रहता है, वह भी सुखी होता है। इस प्रकार इन तीनों स्थानों के तथा इनके स्वामियों के प्रभाव से भी शुभत्व का प्रभाव आ जाता है।
2. कोई भी ग्रह (नैसर्गिक शुभ या अशुभ) यदि त्रिषडाय स्थान का स्वामी हो तो वह सदा अशुभ होता है। स्वाभाविक अशुभ ग्रह यदि त्रिषडाय का स्वामी हो तो, वह अत्यंत अशुभ फलदायक होता है।
जिस किसी को निरंतर एक बडी मात्रा में आमदनी होती है, अथवा अधिक शक्ति बाहुबल होने से शत्रुभाव रहता हो, बलवान हो, उसमें अभिमान आने लग जाता है, या आने का खतरा बढ जाता है, क्योकि वह अपने से अधिक किसी को नहीं समझता। इस लिये तृतीय, षष्ट, एकादश के प्रभाव से स्वाभाविक शुभ ग्रहों में भी क्रूरता आने लगती है। इसके अलावा दशाफल में देखने से भी पता चलता है कि 1-5-9 स्थान के स्वामीयों की दशा का फल शुभ तथा 3-6-11 स्थान के स्वामीयों की दशा का फल पाप या अशुभ देखने में आता है।
सम्बंधित वीडियो लिंक :- https://youtu.be/kXbTxKbiTtc
त्रिकोण भाव और त्रिषडाय भाव- Dr.R.B.Dhawan (Guruji),Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience. सर्वे त्रिकोणनेतारो ग्रहाः शुभफलप्रदा।पतयत्रिषडायानां यदि पापफलप्रदाः।। 6।। लघुपराशरी श्लोक संख्या -6 इस श्लोक में आचार्य वराहमिहिर ने शुभ और अशुभ स्थानों की चर्चा करते हुए कहा है- कोई ग्रह त्रिकोण (1-5-9 स्थान) का स्वामी हो तो, शुभफलदायक होता…