शनि साढेसाती के रहस्य-1
Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.
शनि साढेसाती के रहस्य (भाग-1)
शनि का दूसरा नाम शैनेश्चर होता हैं, अर्थात् शैने-शैने चर अथवा धीरे-धीरे चल, शनि ग्रह अत्यन्त धीमी गति से चलने वाला ग्रह हैं। यह ग्रह एक राशि से दूसरी राशि जाने में अथवा एक राशि पार करने में लगभग ढाई वर्ष लगाता हैं और और बारह राशियों (360 अंश) को पार करने में तीस वर्ष लगाता हैं।
सम्बंधित वीडियो लिंक :-https://youtu.be/NunZKY1Tidc
शनि ग्रह एक पाप ग्रह हैं, किन्तु फिर भी आध्यात्म, योग, साधना, बड़े-बड़े लोहे के उद्योग, लम्बी यात्रायें, आदि का सूचक ग्रह हाने के कारण अगर कंडली में शुभ है तो इन सब से लाभ ही देता है। इस लिये किसी मात्र शनि का नाम सुनकर भयभीत नहीं होना चाहिए। यदि गोचर में शनि ग्रह की स्थिति खराब हो जाती है तो, और अगर जातक की साढेसाती भी चलती हुई हो तो, तब शनि उस जातक को दुष्प्रभाव अधिक देता है, किन्तु इस कालावधि का एक फरयदा भी है कि, इस अवधि में उस जातक/जातिका को अच्छे बुरे की पहचान अवश्य हो जाती हैं।
अब मै आपको यह बताता हूं की साढेसाती कैसे देखेंगे-
आम तौर पर चन्द्रमा की जन्म राशि को देखकर ही उस राशि से 12वीं राशि में शनि के प्रवेश करते ही यह घोषाणा कर दी जाती है कि- आप की साढ़ेसाती आरम्भ हो चुकी है।
जैसे यहां इस राशिचक्र में देखें- शनि का प्रवेश 29 अप्रैल 2022 से कुभ्भ राशि में हो रहा है, तो साधारण जानकारी वालों के अनुसार मीन राशि पर साढे़साती आरम्भ हो गई है, कुभ्भ वालों के लिये साढ़ेसाती का दूसरा चरण आरम्भ हो गया है, और मकर राशि वालों के लिये यह तीसरा और अंतिम चरण आरम्भ हो रहा है।
अब प्रश्न यह है कि चाहे जातक की मीन राशि, कुभ्भ राशि या मकर राशि में चंद्रमा की स्थिति उस राशि के 0 से लेकर 30 अंश तक कहीं भी हो?
और साथ ही यह भी की आप के लिए सम्पूर्ण 7.5 वर्ष की अवधि अत्यन्त कष्टकारी होगी। जब की यह देखना भी जरूरी है कि-
1. जातक की कुंडली का चंद्रमा राशी के कितने अंशों पर है। क्योकि साढेसाती तो चंद्रमा की राशि से एक राशि अर्थात 30 अंश पहले ही आरम्भ होगी। जैसे एक उदाहरण से समझते हैं-
किसी जातक की मीन राशि में चंद्रमा की स्थिति 16 अंश पर है। इस का मतलब यह हुआ की चंद्रमा के 16 अंश से एक राशि पहले साढेसाती का प्रभाव आरम्भ होगा। अर्थात शनि जब कुम्भ के 15 अंश पार करके 16वें अंश पर नही आ जाता तब तक साढेसाती आरम्भ नहीं होने वाली। और शनि को 15 अंश पार करने में लगभग 15 महीने या एक वर्ष और तीन महीने लगते हैं।
इस प्रकार साधारण जानकारी वाले लोग जातक की कुंडली में मीन राशि के किसी भी अंश पर चंद्रमा के होने पर उसके लिये शनि की साढेसाती आरम्भ कर देते हैं। परंतु वास्तव में तो में तो मीन राशि के 16 अंश वाले के लिये तो लगभग जुलाई 2023 से शनि की साढेसाती आरम्भ होगी।
इस लिये साढेसाती का विचार करते समय जातक जातिका की कुंडली के चंद्रमा की राशि की अपेक्षा उसके अंशों पर ध्यान देना चाहिये, और शनि की शुभता या अशुभता नक्षत्रों के स्वामीयों की शनि के साथ मित्रता- शत्रुता पर भी निर्भर करती है।
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Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience. शनि साढेसाती के रहस्य (भाग-1)शनि का दूसरा नाम शैनेश्चर होता हैं, अर्थात् शैने-शैने चर अथवा धीरे-धीरे चल, शनि ग्रह अत्यन्त धीमी गति से चलने वाला ग्रह हैं। यह ग्रह एक राशि से दूसरी राशि जाने में अथवा एक राशि पार करने में…