बुध ग्रह का गोचर फलादेश
बुध ग्रह का गोचर-
Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.
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फलदीपिका में आचार्य मंत्रेश्वर महाराज लिखते हैं- सूर्य और मंगल गोचर में भ्रमण करते समय किसी भी राशि में जब प्रवेश करते हैं तो, तत्काल ही अपना प्रभाव दिखाते हैं, एक राशि होती है 30 अंश की इसलिए सूर्य और मंगल 0 जीरो से लेकर 10 अंश तक ही अपना विशेष प्रभाव दिखाते हैं। बृहस्पति और शुक्र राशि के मध्य भाग में अपना पूरा प्रभाव दिखाते हैं, अर्थात 10 से लेकर 20 अंश तक विशेष शुभ या अशुभ प्रभाव दिखाते हैं।
चंद्रमा तथा शनि के बारे में कहा है कि चंद्रमा और शनि भ्रमण करते समय किसी राशि के अंतिम तृतीय भाग अर्थात 21 से लेकर 30 तक विशेष प्रभावशाली होते हैं। और इसी प्रकार गोचर में भ्रमण करते हुए बुध और राहु ग्रह के बारे में आचार्य मंत्रेश्वर कहते हैं, की बुध और राहु सम्पूर्ण राशि अर्थात 0 से लेकर के 30 अंश तक अर्थात् सर्वत्र ही एक जैसा फल दिखाते हैं। यह ग्रहों की गोचर के समय भ्रमण की स्थिति के लिए फलदीपिका में आचार्य मंत्रेश्वर ने कहा है।
वास्तव मे गोचर के समय किसी भी ग्रह का जिस प्रकार का अपना फल होता है, वह अपना शुभाशुभ फल किसी भी राशि के सम्बंधित भाग में ही विशेषकर प्रकट करता है।
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चंद्रमा से प्रथम बुध का गोचर –
चंद्रमा से प्रथम स्थान में गोचर में भ्रमण करते समय बुध के प्रभाव से उस जातक/जातिका में चुगल खोरी के दुर्गुण पैदा हो जाते है, और जातक अप्रिय शब्दों का प्रयोग करने लग जाता है, इस समय में धन हानि और बंधन का भय रहता है, छोटे-छोटे झगड़ों के कारण धन की हानि होती है, तथा लोग उसका आदर सत्कार भी नहीं करते। उसके द्वारा संबंधियों को हानि पहुंचती है, यदि यात्रा पथ में चलते हुए उसका स्वागत भी हो तो भी आखिरकार उसको वह आदर नहीं मिल पाता।
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चंद्रमा से द्वितीय बुध का गोचर –
बुध जब गोचर के समय चंद्रमा से दूसरे स्थान में आता है, तब वह जातक या जातिका आनंद और धन-नये वस्त्र-आभूषणों की प्राप्ति करता है, अपनी बोलने की कला से वह मनुष्य अच्छा धन प्राप्त करता है, विद्यार्थियों को विद्या में उन्नति प्राप्त होती है, और उत्तम खाने-पीने के पदार्थों की प्राप्ति होती है। संबंधियों से भी धन की प्राप्ति होती है।
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चंद्रमा से तृतीय बुध का गोचर –
चंद्रमा से जब बुध गोचर के समय तीसरे स्थान में आता है तो, वह व्यक्ति डरा डरा सा रहता है, उस में साहस की कमी हो जाती है, अपनों से उसका झगड़ा तथा धन की हानि होती है, वाराही संहिता के अनुसार तीसरे स्थान में आया हुआ बुध ग्रह मित्रों की प्राप्ति भी करवाता है, और वह जातक भय के कारण इधर-उधर भागता फिरता है।
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चंद्रमा से चतुर्थ बुध का गोचर –
गोचर के समय चंद्रमा से बुध जब चौथे स्थान में आता है, तब उस जातक या जातिका को धन की प्राप्ति होती है, माता को सुख प्राप्त होता है। जमीन जायदाद में वृद्धि के अवसर बनते हैं, अच्छे विद्वानों तथा प्रतिष्ठित लोगों से या फिर उच्च पद पर आसीन पदाधिकारियों से मित्रता या निकटता बढ़ती है, घरेलू जीवन का सुख भी उस समय अच्छा मिलता है।
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चंद्रमा से पंचम बुध का गोचर –
गोचर में भ्रमण करते समय बुध ग्रह जब चंद्रमा से पांचवें स्थान में आता है, तब उस जातक या जातिका को मानसिक पीड़ा होती हैं। मन में विचार ही हुई योजनाएं सफल नहीं होती, ऐसे समय में विवाहित लोगों के पुत्र या फिर लाईफ-पार्टनर से झगड़ा होता है। आर्थिक रूप से परेशानियां रहती हैं, अन्य विपरीत लिंग से प्रेम वार्ता के अवसर आते हैं, परंतु वह प्रेम वार्ता असफल रहती है।
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चंद्रमा से षष्ठ बुध का गोचर –
गोचर में भ्रमण करते समय बुध ग्रह जब चंद्रमा से छठे स्थान में गोचर कर रहा होता है तो, उस जातक या जातिका को धन और उत्तम वस्त्रों का सुख प्राप्त होता है, अच्छी और मनोरंजक मूवी या पुस्तकें उपलब्ध होती हैं, उस समय पर शत्रुओं पर उसको विजय भी प्राप्त होती है। सभी लोग उस जातक या जातिका का मान-सम्मान करने लगते हैं, भरपूर शारीरिक सुख और मानसिक सुख प्राप्त होता है, यदि किसी कला से संबंधित है तो उससे भी उसको प्रसिद्धि मिलती है।
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चंद्रमा से सप्तम बुध का गोचर –
गोचर में भ्रमण करते समय बुध ग्रह जब चंद्रमा से सातवें स्थान पर भ्रमण कर रहा होता है तो, उस समय जातक या जातिका का शरीर निस्तेज हो जाताता है, और शरीर पीड़ा युक्त रहता है, अपने लाइफ पार्टनर से विवाद रहता है, मित्रों तथा संबंधियों से भी अनबन रहती है, शासन की ओर से कोई भय वाला वातावरण भी बनता है, तथा वह धन की हानि का समय होता है, यात्रा तथा कारोबार द्वारा भी उस समय लाभ नहीं प्राप्त हो पाता। इस समय पर वह इंसान चिंताओं में डूबा रहता है।
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चंद्रमा से अष्ठम बुध का गोचर –
बुध ग्रह गोचर भ्रमण करते समय जब चंद्रमा से आठवें स्थान में आता है तो, उस समय जातक या जातिका को धन का लाभ होता है, और अगर वह विवाहित है तो, संतान का सुख भी प्राप्त होता है, शत्रुओं पर उस समय उसको विजय प्राप्त होती है, हर कार्य में सफलता मिलती है, प्रसन्न रहने वाला समय होता है, यह समय जातक की आर्थिक व सामाजिक स्थिति में भी बढ़ोतरी वाला होता है, और उसे इस समय मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
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चंद्रमा से नवम बुध का गोचर –
बुध ग्रह जब गोचर के समय चंद्रमा से नवम स्थान में आता है तो, उस जातक या जातिका का वह समय अच्छा नहीं होता, वह समय खेद और संताप वाला (मन दुरूखी रहता है) तथा सब कार्य में विघ्न बाधाओं वाला होता है। यात्रा में सुविधाओं का सामना करना पड़ता है, और आर्थिक हानि का सामना भी करना पड़ता है, मान सम्मान की हानि वाला समय होता है, इस समय संबंधियों तथा भाइयों से भी विचार नहीं मिलते। धर्म और शास्त्रीय बातों में भी बाल की खाल निकालने लगते हैं।
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चंद्रमा से दशम बुध का गोचर –
बुध ग्रह गोचर के समय जब चंद्रमा से दसवें स्थान में आता है तो, जातक या जातिका को किसी नए पद की प्राप्ति होती है, उस समय उसके शत्रुओं की पराजय हो कर, उसको विजय का सुख मिलता है। उसके कारोबार में या इनकम में वृद्धि होती है, मानसिक सुख और शांति प्राप्त होती है, यदि विवाहित है तो, उसको ग्रहस्थ का सुख भी प्राप्त होता है, और मान सम्मान में वृद्धि होती है, हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है, इस समय प्रसन्न रहते हुए जनहित के कार्यों में अपना मन लगाता है।
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चंद्रमा से एकादश बुध का गोचर –
बुध ग्रह जब गोचर के समय चंद्रमा से एकादश स्थान में भ्रमण कर रहा हो तो, ऐसे समय में उस जातक या जातिका को स्वस्थ्य सुख, आर्थिक समृद्धि, यश मान सम्मान यह सब कुछ प्राप्त होता है। विवाहित है तो, संतान सुख की प्राप्ति भी उस समय पर हो सकती है, शुभ कार्यों में उसका मन लगता है।
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चंद्रमा से द्वादश बुध का गोचर –
गोचर में भ्रमण करते हुए बुध ग्रह जब चंद्रमा से बारहवें स्थान में आता है तो, उस समय पर धन तथा सुख सुविधाएं इन सब में कमी होती है, मन में संताप यानी दुरूख और भोजन में अरुचि रहती है, झगड़े आदि के कारण (भोजन अच्छा नहीं लगता) कार्य रुके रहते हैं, शत्रुओं द्वारा या विरोधियों के द्वारा अपमान सहन करना पड़ता है। पराजय का सामना भी करना पड़ता है, स्वास्थ्य के लिए भी यह समय अच्छा नहीं होता, और संबंधियों से अनबन रहती है, विद्यार्थियों को विद्या में रुकावटें आती हैं।
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बुध ग्रह का गोचर- Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience. Video Link -https://youtu.be/dLeputdz_I4 फलदीपिका में आचार्य मंत्रेश्वर महाराज लिखते हैं- सूर्य और मंगल गोचर में भ्रमण करते समय किसी भी राशि में जब प्रवेश करते हैं तो, तत्काल ही अपना प्रभाव दिखाते हैं, एक राशि होती है 30…