मूल नक्षत्र –
Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.
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धनु राशि का प्रथम नक्षत्र मूल- केतु
यह नक्षत्र भी ज्येष्ठा की तरह गंडमूल नक्षत्र है, 27 वें दिन शांति विधान कर लेना चाहिये।
मूल प्रथम चरण- राशि धनु, राशि स्वामी- गुरू, नक्षत्र स्वामी-केतु तथा इस चरण का स्वामी मंगल है। इसमे गुरू, केतु और मंगल का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण धनु राशि के 00 अंश 00 कला से 03 अंश 20 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है। यह नक्षत्र चरण जिज्ञासा, सकारात्मकता, और आध्यात्म का सूचक नक्षत्र है। इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/जातिका सुन्दर गौरवर्ण, सुन्दर दांत व नेत्र वाले, स्पष्ट वादी, बुद्धिमानो मे अग्रणी, चतुर. खरी-खरी कहने वाले, और साहसी होते हैं। इस चरण मे जन्म लेने वाले लोग भौतिकवादी होते हैं, थोडे से अहंकारी भी होते हैं, विकासशील, सुखों का भोग करने वाले, ज्ञानी, समाज मे आदर चाहने वाले होते हैं। इस चरण के पुरुष आत्म निर्भर, पूर्णतया स्वतंत्र, महत्वाकांक्षी, जीवन के मध्य में आदरणीय, योग्यता से व्यापार मे नामी होते हैं। यह अधिक समय तक किसी के सहायक बनकर नही रहते हैं। बचपन में और युवावस्था मे आग से दुर्घटना या हड्डी में चोट लगने की आशेका होती है।
मूल द्वितीय चरण- राशि धनु, राशि स्वामी- गुरू, नक्षत्र स्वामी-केतु तथा इस चरण का स्वामी शुक्र है। इसमे गुरू, केतु और शुक्र का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण धनु राशि के 03 अंश 20 कला से 06 अंश 40 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है। यह नक्षत्र चरण लम्बे समय तक प्रयत्न करते रहने, कलह और सृजन का सूचक नक्षत्र है। इस चक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/ जातिका सामान्य कद वाले, चौड़ी छाती वाले, त्याग की भावना वाले होते हैं। शरीर का ऊपरी भाग कुछ भारी होता है। चौड़ी टुड्डी से पहचाना जाता है। अपने घर मे इसकी अप्रशंसा और बहार प्रशंसा और विशेष आदर सम्मान होता है। इस नक्षत्र चरण में जन्मे लोगों में अच्छा भविष्य वक्ता बनने के गुण होते हैं। यह नरम और कठोर दोनो प्रकार के कार्य करने वाले होते हैं और आर्थिक विकास मे विशिष्ट होते हैं। यह बहुत मेहनती होते हैं।
मूल तृतीय चरण- राशि धनु, राशि स्वामी- गुरू, नक्षत्र स्वामी-केतु तथा इस चरण का स्वामी बुध है। इसमे गुरू, केतु और बुध का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण धनु राशि के 06 अंश 40 कला से 10 अंश 00 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है। इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/जातिका बाणीं में प्रभावशाली शब्दों का प्रयोग करने वाले, खेलों में रूची वाले, संचार मध्यम से इनका विशेष लगाव होता है। यह नक्षत्र चरण सम्बन्ध का सूचक नक्षत्र है। इस लिये इस नक्षत्र चरण वाले अच्छे सम्बंधों में विश्वास रचाने वाले होते हैं। इनके सुन्दर नयन होते हैं, यह साहसी, गंभीर, नीतिवान, शिक्षा शास्त्री, स्त्री लाईफ पार्टनर से प्रेम करने वाले, हास्य कला के जानकार, संतुलित विचारधारा वाले, खराब ग्रह स्थिति होने से निम्नस्तरीय कर्म करने वाले, आध्यात्म और सांसारिक गतिविधियों मे सामान रूप से समय देने वाले, अपने कार्य में प्रवीण, परिपक्व, हंसी-मजाक पसंद, और सिद्धांतो पर अडिग रहने वाले होते हैं। इस चरण में जन्म लेने वाले जीवन में अधिक भौतिक उन्नति नही पाते हैं।
मूल चतुर्थ चरण- राशि धनु, राशि स्वामी- गुरू, नक्षत्र स्वामी-केतु तथा इस चरण का स्वामी चंद्रमा है। इसमे गुरू, केतु और चंद्रमा का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण धनु राशि के 10 अंश 00 कला से 13 अंश 20 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है। यह नक्षत्र भावना प्रधान, अनुकूल प्रभाव मे बाधा का सूचक नक्षत्र चरण है। इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/जातिका मदमस्त गोल नेत्रों वाले, गौर वर्ण वाले, सुन्दर बालों वाले होते हैं, इस चरण में जन्म लेने वाली महिलायें सुंदरता की मूर्ति होती हैं। यह लोग बुद्धिमान, राजमान्य, भ्रमण शील होते हैं। इस चरण मे जन्म लेने वाले जातक/जातिका भावुक, प्रसन्नचित्त रहने वाले, विद्वान होते हैं, यह कठोर निर्णय लेने मे सक्षम नहीं होते, लक्ष्य निश्चित करने मे भी सक्षम होते हैं, मूल नक्षत्र का यह चरण सबसे असंतुलित चरण होता है। इसमे जन्में लोगों को अपने सहायक और संगी-साथीयों से सावधान रहना चाहिये क्योकि इनसे विश्वासघात की सम्भावना अधिक रहती है।
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