शतभिषा नक्षत्र –

Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.

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कुम्भ राशि का द्वितीय नक्षत्र शतभिषा- राहु
शतभिषा प्रथम चरण- राशि कुम्भ, राशि स्वामी- शनि, नक्षत्र स्वामी-राहु तथा इस चरण का स्वामी गुरू है। इसमे शनि, राहु और गुरू का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण कुम्भ राशि के 06 अंश 40 कला से 10 अंश 00 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है।
यह नक्षत्र चरण भाग्य, आशावाद, मानव जाति प्रेम या विश्वप्रेम तथा विशेष कारण का सूचक है। इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/जातिका मिला- जुला आकार वाला शरीर, प्रेमियों/ प्रेमिकाओं के प्रिय, वैदूर्य के सामान कान्ति वाले, अधिक बोलने वाले, शास्त्रज्ञ व शास्त्र ज्ञान का प्रयोग करने वाले होते हैं। इस चरण के जातक विद्वान, आध्यात्मिक, परम्परागत मापदंड मे विश्वास वाले होते हैं। यह सकारात्मक ऊर्जावान, तीर्थ स्थलों की बार-बार यात्रा करने वाले, धर्म शास्त्रों के ज्ञाता और परिपक्व बुद्धि वाले होते हैं।
शतभिषा द्वितीय चरण- राशि कुम्भ, राशि स्वामी शनि, नक्षत्र स्वामी-राहु तथा इस चरण का स्वामी शनि है। इसमे शनि, राहु और शनि का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण कुम्भ राशि के 10 अंश 00 कला से 13 अंश 20 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है।
यह नक्षत्र चरण आयोजन तथा प्रयोगिक इच्छाओं का सूचक है। इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/जातिका गौरवर्ण वर्ण, बड़े मुख वाले, विपरीत लिंग में रूची वाले, धीर, वीर, गंभीर और शत्रुओं पर भारी, भोग विलास मे व्यस्त, तथा धनवान होते हैं। इस चरण के लोग व्यावसायिक विकास मे ध्यान देने वाले, कर्मठ और अपने विकास के लिए महत्वाकांक्षी होते हैं। परिवार को अधिक समय नही देने वाले, परंतु अच्छे, अभिभावक होते हैं।
शतभिषा तृतीय चरण- राशि कुम्भ, राशि स्वामी शनि, नक्षत्र स्वामी-राहु तथा इस चरण का स्वामी शनि है। इसमे शनि, राहु और शनि का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण कुम्भ राशि के 13 अंश 20 कला से 16 अंश 40 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है।
यह नक्षत्र चरण दृष्टि, दर्शन, राजद्रोह, केंद्र भ्रष्टता का सूचक नक्षत्र है। इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/जातिका स्पष्ट ज्ञान वाले, कलाकार, कठोर होंट व पैर, गड्डेदार कपोल, सांवला या गेहुआं रंग, दूसरों की कम सुनने वाले होते हैं। इस चरण के जातक तेज युक्त अन्तःज्ञानी, लिंग भेद का प्रदर्शन करने वाले, पति-पत्नी मे परस्पर प्रेम, अनुशासित होते हैं। दुश्मन इन्हें हानि पहुंचाने मे असफल, और मित्र लाभ पहुंचाने मे वंचित रहते हैं।
शतभिषा चतुर्थ चरण- राशि कुम्भ, राशि स्वामी शनि, नक्षत्र स्वामी-राहु तथा इस चरण का स्वामी गुरू है। इसमे शनि, राहु और गुरू का प्रभाव है। यह नक्षत्र चरण कुम्भ राशि के 16 अंश 40 कला से 20 अंश 20 कला तक के विस्तार क्षेत्र वाला है।
यह नक्षत्र चरण भ्रम, खर्च, दया, पवित्रता का सूचक नक्षत्र है। इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने वाले जातक/जातिका व्याघ्र मुखी, घुंघराले बाल वाले, साहसी, निश्चित अर्थ के ज्ञाता, हिंसक जन्तुओं को मारने की क्षमता वाले, शासन के प्रिय होते हैं। इस चरण मे जन्म लेने वाले सम्पदा और परिवार के प्रदर्शनकारी, व्यवसाय के कारण परिवार से दूर रहने वाले, भावुक, काल्पनिक, बुरी ग्रह स्थिति होने से नशे के आदी और नशे के लिए किसी भी हद तक जाने वाले, घर का त्याग तक करने वाले हो सकते हैं। अच्छी ग्रह स्थिति होने से आध्यात्मिक गुरु, या चिकित्सक होते हैं।

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