साधक तारा Saadhak Tara
साधक तारा Saadhak Tara –
Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.
6. साधक तारा – जन्म नक्षत्र से 6ठा, 15वां और 24वां नक्षत्र साधक तारा कहलाता है, इस तारा या नक्षत्र की गणना शुभ नक्षत्र तारा की श्रेणी में की जाती है। जन्म नक्षत्र से 6, 15, और 24 वां नक्षत्र चंद्र नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में साधक नक्षत्र अर्थात शुभ नक्षत्र कहलाता है। इन तीनों नक्षत्रों का स्वामी, जो की एक ही ग्रह होता है, वह भी शुभ परिणाम देता है, अपनी दशा, अंतरदशा या इन नक्षत्रों में गोचर के समय। और इन नक्षत्रों में जो ग्रह स्थित होता है, वह भी अपनी दशा अंतरदशा या गोचर के समय बहुत ही शुभ परिणाम देता है, बशर्ते वह ग्रह त्रिक का स्वामी नहीं हो। — साधक तारा की बात करने से पहले नवग्रह स्तुति…..
यदि साधक नक्षत्र से सम्बंध वाला ग्रह किसी त्रिकोण का स्वामी है, तब तो और भी शुभ परिणाम देने वाला होगा। कुंडली में अच्छी स्थित वाला ग्रह इस नक्षत्र से सम्बंध रखे तो, उस ग्रह की दशा या गोचर का समय बहुत ही अच्छे परिणाम देने वाला होता है। यह अच्छे परिणाम क्या होते हैं?- इस पर बात करेंगे एक छोटे से ब्रेक के बाद, कही मत जाईयेगा मैं अभी हाजिर हुआ।
साधक नक्षत्र के समय अच्छे परिणाम क्या होते हैं? आईये यह समझते हैं- इस तारा या नक्षत्र के ग्रह अपने नाम के अनुसार शुभ परिणाम देने वाले होते हैं, अर्थात हर कार्य को सिद्ध करने वाला समय होता है। इस कालावधि में थोड़ी सी मेहनत से अधिक शुभ परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। कार्य क्षेत्र की बात हो, चाहे शिक्षा या उच्च शिक्षा की बात हो, वैवाहिक या प्रेम सम्बंध हो, नौकरी या फिर व्यापार हो, इन सभी से जुड़ी उपलब्धियां, सफलताएं इस दशा अवधि में प्राप्त होती हैं। और यह समय कठिन से कठिन लक्ष्यों की प्राप्ति में पूर्णरूप से सफलता देने वाला होता है। इस समय अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने और आध्यात्मिक सिद्धियां या सफलता प्राप्त करने में बहुत मदद मिलती है। महत्वाकाक्षी मनुष्य की महत्वकांक्षाओं की पूर्ति होती है, साथ ही आवश्यक उद्देश्यों की पूर्ति भी होती है। कुल मिलाकर यह समय अनेक कार्य सिद्ध करने वाला समय होता है। साधक तारा नक्षत्र का अधिकारी ग्रह बुध है, इस लिये साधक तारा के समय में बुध ग्रह का शुभ प्रभाव सक्रिय हो जाता है, इसी लिये बुध ग्रह जातक/जातिका की बौद्धिक क्षमताओं में अत्यंत वृद्धि कर देता है, और इस के साथ-साथ यदि सम्बंधित ग्रह किसी त्रिकोण का स्वामी हो या इन नक्षत्रों का स्वामी त्रिकोण में हो तो, जातक न केवल भौतिक, तथा आध्यात्मिक क्षेत्र में अतुल्य सफलता प्राप्त करता है, साथ ही उस की रूची अनेक गूढ़ विद्याओं में भी हो जाती है। इन नक्षत्रों में यदि कुंडली का त्रिकोणेश ग्रह है, तो उस ग्रह का रत्न धारण करना अत्यंत शुभ होता है।
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साधक तारा Saadhak Tara –Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience. 6. साधक तारा – जन्म नक्षत्र से 6ठा, 15वां और 24वां नक्षत्र साधक तारा कहलाता है, इस तारा या नक्षत्र की गणना शुभ नक्षत्र तारा की श्रेणी में की जाती है। जन्म नक्षत्र से 6, 15, और 24…