नाड़ी दोष
Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.
अष्टकूट मिलान क्या होता है-
विवाह नये जीवन की एक नई शुरुआत होती है, यह सब जानते हैं। सनातन संस्कृति में विवाह से पहले अष्टकूट यानी गुण मिलान का विशेष महत्व है। इसमें वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी के आधार पर वर-वधू के गुणों का मिलान किया जाता है। इसमें सबसे ज्यादा प्रमुख मिलान है, नाड़ी मिलान।
सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए वर-वधू के अष्टकूठ में नाड़ी दोष होना बहुत अशुभ माना जाता है। यदि यह कुंडली में मौजूद है तो, अगली पीढ़ी तो मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर होगी ही, साथ ही वर व वधु के वैवाहिक सम्बंध के साथ शारीरिक और मानसिक स्थिति भी प्रभावित होगी। अष्टकूट मिलान शादी के लिए दो प्रस्तावित भागीदारों की मानसिक, शारीरिक, और वित्तीय स्थिति की ज्योतिषीय जाँच और विश्लेषण है, इस लिए नाडी का मिलना आवश्यक है।
नाड़ी मिलान क्या है?-
कुंडली में चंद्रमा के किसी नक्षत्र में स्थिति के आधार पर ही आठ प्रकार के कूट की पहचान और मिलान होते हैं, चंद्रमा के नक्षत्र से ही नाड़ी कौन सी है, इसका भी पता चलता है। गुण मिनान की ज्योतिषीय गणना में कुल नक्षत्र 27 होते हैं, इस प्रकार हर नाड़ी के 9-9 नक्षत्र माने जाते हैं। वर और वधु का कौन-कौन सा चंद्र नक्षत्र है? इसी के आधार पर उनकी नाड़ी का पता चलता है।
नाड़ी कितने प्रकार की होती है –
1. आद्य नाड़ी- ज्येष्ठा, मूल, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद और अश्विनी नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति होने पर आद्य नाड़ी होती है।
2. मध्य नाड़ी- पुष्य, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, भरणी, घनिष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति होने पर मध्य नाड़ी होती है।
अन्त्य नाड़ी- स्वाति, विशाखा, कृतिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, उत्तारषाढ़ा, श्रवण और रेवती नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति होने पर अन्त्य नाड़ी होती है।
नाड़ी मिलान क्यों महत्वपूर्ण है –
1. इसका महत्व इसी से पता चलता है कि, 8 कूटों में से 7 कूटों द्वारा अधिक गुण मिलने पर भी अगर नाड़ी दोष है तो, विवाह वर्जित बताया जाता है।
2. अष्ट कूट में नाड़ी मिलान के सबसे अधिक 8 अंक होना वैवाहिक जीवन में इसके महत्व को दर्शाता है।
दाम्पत्य संबंधों में शुभता के लिए मिलान में वर-वधू की एक समान नाड़ी का होना, उनके मानसिक और भावनात्मक ताल-मेल में कमी का संकेत है, जिसका प्रभाव उनके आपसी सम्बंधों के साथ-साथ संतान पर भी पड़ता है। इस लिये वर-वधु की अलग-अलग नाड़ी होना आवश्यक है।
नाड़ी दोष के प्रभाव क्या हैं –
1. भावी संतान या अगली पीढ़ी अस्वस्थ या असामान्य हो सकती है। संतान सुख प्राप्त नहीं होने में कठिनाई हो सकती है।
2. जातक के वैवाहिक जीवन में समस्याएं आएंगी और विशेष रूप से, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ सकती हैं।
3. कभ-कभी नाड़ी दोष होने से, वैवाहिक संबंध लंबे समय तक नहीं चलते हैं।
4. पति-पत्नी को किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है।
5. उन्हें कई प्रकार के शारीरिक, मानसिक या आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
6. वर एवं कन्या की नाड़ी अलग-अलग हो तो, नाड़ी शुद्धि मानी जाती है, और यदि वर एवं कन्या दोनो की एक ही (समान) नाड़ी हो तो, नाड़ी दोष अथवा नाग नाड़ी दोष माना जाता है।
7. नाग नाड़ी दोष होने से अधिकांश मामलों में विवाह के बाद लड़ाई झगड़े आरम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मानसिक और शारीरिक तौर पर दोनों के आपसी सम्बंध प्रभावित होते हैं। कभी-कभी कुंडली में खराब ग्रह स्थिति भी होती है तब सम्बन्ध विच्छेद भी हो सकता है।
इसे नाग की उपमा का कारण यह है कि तीनो नाड़ियाँ तीन नक्षत्रों का कुन्डल बनाती हुई सर्पगती (सव्य-अपसव्य क्रम) से नौ कुन्ड़लो में 27 नक्षत्रों को पूर्ण करती है। दम्पत्ति की एक नाड़ी (नाग नाड़ी दोष) माना जाता है, और यह अधिक कष्टकारी होता है।
नाड़ी दोष कब नही होता –
अगर संभावित वर और वधू की कुंडली में तीन शर्तों में से एक भी पूरी हो रही हो तो, नाड़ी दोष निरस्त हो जाता है।
1. यदि वर-वधू के जन्म-नक्षत्र समान हैं, लेकिन उनके चरण भिन्न हैं तो, नाड़ी दोष नगण्य होता है।
2. यदि वर और वधू के लक्षण समान हैं, और जन्म-नक्षत्र अलग हैं तो, वे नाड़ी दोष से मुक्त हैं।
3. यदि वर-वधू का जन्म-नक्षत्र एक ही हो, लेकिन उनके राशि अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं होता है।
नाड़ी दोष का उपाय क्या है –
1. महामृत्युंजय मंत्र का जप सबसे आसान उपाय है।
2. ब्राह्मण को स्वर्ण-नाड़ी, अनाज, कपड़ा और गाय भेंट करना भी नाड़ी दोष के निवारण का एक उपाय है।
नाडी दोष वाली महिला का विवाह भी वास्तविक विवाह से पहले भगवान विष्णु से होता है, और इसे नाड़ी दोष अपवाद और उपाय माना जाता है। इसलिए, शादी से पहले किसी भी कुंडली मिलान के लिए गुण मिलान करवाना बहुत आवश्यक होता है।
आपको नाड़ी दोष कारण और निवारण के लिए एक एक्सपीरियंस ज्योतिषी से परामर्श करने की आवश्यता होती है। वह आपको बताएगा की वर या कन्या की कुंडली में कौन सा दोष है। इसे जानने के लिये आप गुरूजी की Paid सेवाएं भी ले सकते हैं, whatsapp पर सम्पर्क कर लें, और फीस पहले कन्फर्म कर लें।
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