वशीकरण

Dr.R.B.Dhawan Guruji

एक शास्त्रोक्त वशीकरण प्रयोग
यह अटल सत्य है कि वास्तविक वशीकरण मनुष्य की वांणी में तथा उसके आचार-विहार में ही होता है, फिर भी शास्त्रकारों ने वशीकरण के अनेक मंत्र-तंत्र तथा यंत्रों की रचना करने की आवश्यकता क्यों महसूस की?वशीकरण कार्य के लिये केवल यंत्र-मंत्र-तंत्र ही क्यों?अनेक प्रकार के रत्नों तथा अन्य दुर्लभ वस्तुओं को भी प्रयोग में लाया जाता रहा है। परतु यहां प्रश्न यह पैदा होता है कि वशीकरण की आवश्यकता क्यों महसूस की जाती रही है?
कभी-कभी जब एक विवाहित पुरूष अथवा महिला का किसी अन्य महिला अथवा पुरूष की ओर अकर्षण इस हद तक हो जाता है कि वह आकर्षण उनके शारीरिक सम्बंधों में बदल जाता है तब उनका वह गृहस्थ आश्रम, आश्रम न होकर युद्ध का मैदान बन जाता है। ऐसी जठिल स्थिति का किसी प्रकार निवारण हो?यह समझ ही नहीं आता। तब एकमात्र मंत्र-तंत्र-यंत्र का मार्ग ही दिखाई देने लगता है क्योंकि मंत्र-तंत्र में 6 प्रकार के जो प्रयोग कहे गये हैं उनमें वशीकरण भी प्रभावशाली उपचार हो सकता है। इसी प्रकार घर परिवार में भी कभी-कभी ऐसी विकट परिस्थितियां आ खडी होती हैं जिनका समाधान कहीं दिखाई नही देता। तब ऐसी परिस्थिति में तंत्र शास्त्र का यह ‘वशीकरण प्रयोग’ अपने चमत्कारी प्रभाव से उस समस्या को बिना किसी विशेष परिश्रम के सुलझा सकता है। इसी लिये तंत्र शास्त्र के रचनाकारों ने तंत्र के षड प्रयोगों में वशीकरण को भी महत्वपूर्ण माना है। इस लेख में इसी प्रकार की घरेलु समस्याओं के निवरण हेतु कुछ तंत्रशास्त्रीय वशीकरण प्रयोग दिये गये हैं। जिनका प्रयोग वह बहने सरलतापूर्वक कर सकती हैं जिनके पति किसी अन्य महिला के चगुल में बुरी तरह से फंस चुके हैं और उन्हे कोई और मार्ग दिखाई नहीं देता।
यहां यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि इन मंत्र-तंत्रों का साधन तथा प्रयोग केवल महिला के द्वारा ही किया जाना चाहिए। ये मंत्र तथा तंत्र अपने पति अथवा जिस किसी भटके हुये पुरुष को वशीभूत करने की आवश्यकता हो, उन पर प्रयोग में लाए जा सकते हैं। यदि कोई महिला स्वयं मंत्र-साधन करने में असमर्थ हो तो किसी अन्य विद्वान को उसी स्त्री के निमित्त इन मंत्रों की साधना करके अथवा तांत्रिक वस्तुओं को अभिमंत्रित कर, उनका प्रयोग स्त्री के द्वारा ही कराना चाहिए। आगे दिया गया मंत्र क्रम संख्या-1 एक लाख बार जपने से सिद्ध होता है। कुछ ग्रंथों में पाठ-भेद से इसका स्वरूप क्रम संख्या- 2 की तरह बताया गया है और केवल दस हजार बार जपने मात्र से ही मंत्र सिद्ध होने की बात कही गयी है-
1. ऊँ नमो महायक्षिण्यै मम पतिं में वशंय कुरु कुरु स्वाहा।
2. ऊँ नमो महायक्षिणि पति में वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।
उक्त दोनों में से किसी भी मंत्र को निश्चित संख्या में जप कर सिद्ध कर लेना चाहिए। फिर प्रयोग के समय प्रयोज्य-वस्तुओं को सिद्ध मंत्र द्वारा 108 बार अभिमंत्रित करके प्रयोग मंे लाना चाहिए। उक्त मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित होने वाली वस्तुओं और उनकी प्रयोग विधि के विषय मंे नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए-

पुरुष (पति) वशीकरण शास्त्रीय प्रयोग
1. शुद्ध गोरोचन, तथा केले के तने या पत्ते का रस इन दोनों वस्तुओं को एकत्र पीस कर उक्त मंत्र से अभिमंत्रित करके, अपने ललाट पर तिलक लगाने से, अभिलषित-पुरुष देखते ही कुछ दिनों में पुर्ण रूप से वशीभूत हो जाता है।
2. मछली के पित्त में गोरोचन मिलाकर अपने मस्तक पर तिलक करके अभिलषित-पुरुष की ओर अपने बायें हाथ की ऊंगली उठायें तो वह वशीभूत हो जाता है। यह दोनो प्रयोग कुछ समय तक निरंतर करने चाहिये।

पुरुष (पति) वशीकरण शाबर मंत्र-
शुद्ध कामिया सिंदूर किसी प्रतिष्ठित संस्थान से मंगवाकर अग्रलिखित शाबर मंत्र से तीन बार अभिमंत्रित करके जो स्त्री अपने मस्तक पर बिन्दी लगाये, उसका पति अथवा प्रेमी देखते ही वशीभूत हो जाता है अथवा यह दूसरा प्रयो भी है- सरसों के तेल में मालती के फूल को सड़ाकर छान लें। फिर उस ‘तेल की उक्त मंत्र से तीन बार अभिमंत्रित कर, रति-क्रिया के समय अपने गुह्यांग पर लगाकर रमण करें, तो पति वशीभूत होता है। मंत्रोंच्चारण के समय ‘अमुकी’ के स्थान पर स्त्री को अपना नाम तथा ‘अमुक’ के स्थान पर पति अथवा प्रेमी के नाम का उच्चारण करना चाहिए।

शाबर मंत्र- ऊँ नमो आदेश गुरु को सिंदूर कामिया सिंदूर काम तेरी पत्ती। कामाख्या सिर तेरी उत्पत्ति। सिंदूर पढ़ि ‘अमुकी’ लगावे बिन्दी वश ‘अमुक’ होवे निर्बुद्धी। ऊँ महादेव की शक्ति गुरु की भक्ति कामरूप कामाख्या माई की दुहाई आदेश हाडीदासी चण्डी की अमुक मन लाव निकार न तो पिता महाव बदोम पार पाप लगे।

विशेष- यह सभी प्रयोग तंत्र शास्त्रीय और अत्यंत प्रभावशाली हैं परंतु इन प्रयोगों को करने से पूर्व गुरू आज्ञा अवश्य लेनी चाहिए।

Teligram : 9810143516

Dr.R.B.Dhawan Guruji एक शास्त्रोक्त वशीकरण प्रयोगयह अटल सत्य है कि वास्तविक वशीकरण मनुष्य की वांणी में तथा उसके आचार-विहार में ही होता है, फिर भी शास्त्रकारों ने वशीकरण के अनेक मंत्र-तंत्र तथा यंत्रों की रचना करने की आवश्यकता क्यों महसूस की?वशीकरण कार्य के लिये केवल यंत्र-मंत्र-तंत्र ही क्यों?अनेक प्रकार के रत्नों तथा अन्य दुर्लभ वस्तुओं…