साढ़ेसाती के रहस्य -1

Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.

शनि साढेसाती के रहस्य-1
शनि की साढेसाती मतलब डराने वाला समय या अशुभ समय! आम तौर पर शनि की साढेसाती की गणना लोग अपनी नाम राशि से कर लेते हैं, और ऐसा वह लोग करते हैं, जिनको अपनी जन्म राशि का नहीं पता, या जिनकी जन्म कुंडली ही नहीं है। वास्तव में यह तरीका बहुत ही गलत है। अगर नाम राशि का महत्व होता तो, श्रीराम और महापंडित रावण या फिर श्रीकृष्ण और कंस में मित्रता होती, क्योकि इन दोनो की तो एक ही नाम राशि थी।
और जिनकी लोगों की जन्म कुंडली है, या जिन्हें अपनी जन्म समय की राशि अर्थात वह राशि जिस में जन्म समय का चंद्रमा स्थिति था पता है, वह लोग अपनी जन्म समय के चंद्रमा की राशि से शनि की साढेसाती की गणना करते हैं, परंतु साढेसाती देखने का यह तरीका/नियम भी अधूरा है, पूरी तरह सही नहीं है।
दरअसल साढ़ेसाती देखने के कुछ गहरे ज्योतिषीय नियम होते हैं- और उस नियम अनुसार सबसे पहले साढ़ेसाती लगते समय जन्म समय के चंद्रमा का नक्षत्र देखा जाता है, जो कि महत्वपूर्ण है, और चंद्रमा का नक्षत्र इस लिए क्यों की सभी 9 ग्रहों में से चंद्रमा एक ऐसा ग्रह है, जिसे मन का कारक ग्रह माना जाता है। और सभी 9 ग्रहों में शनिग्रह को दुःख का सूचक ग्रह माना गया है। मनुष्य के जीवन में जब किसी भी प्रकार का दुःख या सुख का समय होता है तो, सबसे पहले मनुष्य के मन को ही दुःख या आनंद की अनुभूति होती है। या कह सकते हैं कि, मन सबसे पहले प्रभावित होता है। इसी लिए गोचर में भ्रमण करते समय जब शनि ग्रह की स्थिति जन्म समय के चंद्रमा के नक्षत्र से विशेष अंशों में होती है, तब अवश्य शनि का प्रभाव मन पर होता है। और यह जरूरी नहीं की प्रभाव दुःख के रूप में ही हो।
अब यह भी समझना होगा कि शनि ग्रह प्रत्येक नक्षत्र में भ्रमण करते समय चंद्रमा को पीडित क्यों नहीं करता। शनि ग्रह की पीडा को समझने के लिए यह देखना होगा की उस गोचर भ्रमण के समय शनि ग्रह किस नक्षत्र पर से गुजर रहा है, वह नक्षत्र शनि का स्वयं का ही नक्षत्र हो सकता है, या फिर उसके मित्र ग्रह या अतिमित्र ग्रह का नक्षत्र भी हो सकता है। जिसे उस नक्षत्र पर भ्रमण के समय शनि अशुभ न होकर उल्टे शुभफल देने वाला ही होगा। ़
तीसरी स्थिति यह होगी की वह नक्षत्र जिस में शनि ग्रह भ्रमण कर रहा है, शनि के लिए वह सम ग्रह का अर्थात न्यूट्रल ग्रह का नक्षत्र हो सकता है, साढेसाती के समय में अगर न्यूट्रल ग्रह के नक्षत्र में शनि का भ्रमण हो रहा है, तो वह समय न तो शुभ और न ही अशुभ होगा। इसी प्रकार शनि जब भ्रमण काल में अपने शुत्र ग्रह या अतिशत्रु ग्रह के नक्षत्र में भ्रमण कर रहा हो, तब कष्टकारी अवश्य होगा। इसमें सभी प्रकार की मानसिक, आर्थिक या शारीरिक कष्ट हो सकते हैं। अर्थात यही कारण है, कि शनि की साढेसाती का सम्पूर्ण समय न तो पूरी तरह कष्टकारी होता है, और न ही सम्पूर्ण समय पूरी तरह शुभ फल वाला होता है। अर्थात कुछ समय अत्यंत शुभ और कुछ न्यूट्रल और कुछ समय अत्यंत कष्टकारी हो सकता है।
कुछ कुंडलियों के लिए तो शनि की सम्पूर्ण साढेसाती अत्यंत शुभ भी होती है, इसके उदाहरण हमारे देश के दो प्रधानमंत्री- श्री मनमोहन सिंह और श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं, जो साढेसाती के आरम्भ होते ही प्रधानमंत्री बने और इनके लिए सम्पूर्ण साढेसाती का समय शुभ रहा। किसी कुंडली वाले के लिए शनि कष्टकारी क्यों और किसी कुंडली के लिए राजयोग कैसे? साढे सात वर्ष के समय में शनि ग्रह लगभग 7 नक्षत्रों पर से गुजरता है। इसी लिए शनि साढेसाती के शुभ-अशुभ या न्यूट्रल प्रभाव को समझने के लिए जन्म समय के चंद्रमा का नक्षत्र बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
आज आपको साढ़ेसाती की शुभता-अशुभता जानने के लिये कुछ ही रहस्य बताए गये हैं, लेकिन रहस्य अभी और भी हैं। वह रहस्य अब अगले वीडियो में बताउंगा प्रतीक्षा करें शनि साढेसाती भाग-2 वीडियों की। मैं बताउंगा की हर एक कुंडली वाले के लिए शनि ग्रह की साढेसाती का प्रभाव अलग-अलग क्यों होता है। और यह भी बताउगा कि किस-किस जन्म नक्षत्र वालों के लिए वर्तमान शनि ग्रह का राशि परिवर्तन या नक्षत्र परिवर्तन कैसा फल देने वाला रहेेगा।

वीडियो देखें मेरे यूट्यूब चैनल AstroGuruji पर।

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