साढ़ेसाती के रहस्य -3

शनि साढेसाती के रहस्य-3

Dr.R.B.Dhawan (Guruji), Multiple times awarded Best Astrologer with 33+ years of Astrological Experience.

यहां जिस जातक की जन्म कुंडली में शनि ग्रह की साढ़ेसाती के फल का विचार करेंगे, उस की जन्म तिथि 14 जुलाई 1979 तथा जन्म का समय मध्य रात्रि 01ः30 है, जन्म स्थान अक्षांश/रेखांश- 28ः 94 उत्तर। 77ः 70 पूर्व है। इस जातक का जन्म का नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद प्रथम चरण है। देखेंगे की इस जातक की कुंडली के लिए शनि ग्रह की साढ़ेसाती के समय में शनि का गोचर जब श्रवण नक्षत्र में प्रवेश किया था तभी से शनि की साढ़ेसाती का आरम्भ हुआ था। और जब शनि ग्रह अश्विनी नक्षत्र के मध्य में आयेंगे तब तक शनि ग्रह की साढ़ेसाती का समय रहेगा। साढ़ेसाती के यह जो पौने सात नक्षत्र होंगे, इनमें शनि ग्रह का भ्रमण रहेगा।

1. श्रवण स्वामी- चंद्रमा।
2. धनिष्ठा स्वामी-मंगल।
3. शतभिषा स्वामी-राहु।
4. पूर्वा भा. स्वामी-गुरू।
5. उ. भा. स्वामी- शनि।
6. रेवती स्वामी- बुध।
7. अश्विनी स्वामी-केतु।

अब देखना होगा इस जातक के लिए किस-किस नक्षत्र के लिए शनि ग्रह का गोचर भ्रमण कैसा फल प्रकट करेगा।
1. प्रथम नक्षत्र है, श्रवण, इस का स्वामी चंद्रमा है। साधारण दृष्टि से शनि के लिए चंद्रमा शत्रु है, और पंचधा मैत्री चक्र से देखने से चंद्रमा शनि के लिए अतिशत्रु है। इस लिए साढ़ेसाती की अवधि में श्रवण नक्षत्र में भ्रमण करते समय शनि ग्रह जातक के मन को निराशा और पीढ़ा के कारण अत्यधिक पीढ़ित करेगा अतः पीढा देने वाला होगा।
2. दूसरा नक्षत्र है, धनिष्ठा, इस का स्वामी मंगल है। साधारण दृष्टि से शनि के लिए मंगल भी शत्रु है, और पंचधा मैत्री चक्र में देखने से मंगल भी शनि के लिए अतिशत्रु है। इस लिए साढ़ेसाती की अवधि में धनिष्ठा नक्षत्र में भ्रमण करते समय शनि जातक के शारीरिक और मानसिक बल की कमी तथा परिवार में बहन-भाईयों से निराशा, भूमि सम्बंधी हानि और अर्थिक पीढा देने वाला होगा। (धनिष्ठा नक्षत्र में शनि की स्थिति जनवरी 2022 से चल रही है, जो कि 15 मार्च 2023 तक रहेगी।)
3. तीसरा नक्षत्र है, शतभिषा, इस का स्वामी राहु है। साधारण दृष्टि से शनि के लिए राहु मित्र है, और पंचधा मैत्री चक्र से देखने से राहु शनि के लिए अतिमित्र है। इस लिए साढ़ेसाती की इस अवधि में शतभिषा नक्षत्र में भ्रमण करते समय शनि ग्रह अचानक अत्यधिक लाभ और अर्थिक मदद देने वाला हो जाऐगा। (शतभिषा नक्षत्र में शनि का गोचर स्थिति 15 मार्च 2023 से आरम्भ होगी।)
4. चैथा नक्षत्र है, पूर्वाभाद्रपद, इस का स्वामी गुरू है। साधारण दृष्टि से शनि के लिए गुरू सम ग्रह है, और पंचधा मैत्री चक्र से देखने से गुरू शनि के लिए साधारण शत्रु है। इस लिए साढ़ेसाती की इस अवधि में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में भ्रमण करते समय शनि ग्रह एक बार फिर अर्थिक हानि और पीडा देने वाला होगा, परंतु प्रथम और द्वितीय नक्षत्र में भ्रमण की तरह अत्यधिक पीडा अर्थात अधिक अर्थिक हानि या कष्ट नहीं होगा।
5. अब यह पांचवां नक्षत्र है, उत्तराभाद्रपद, इस नक्षत्र का स्वामी स्वयं शनि ही है। इस लिए स्वयं के नक्षत्र में शनि ग्रह का गोचर भ्रमण शुभ ही होगा, यहां आर्थिक मानसिक और शारीरिक दुःख समाप्त होंगे हालात में सुधार होगा।
6. छटा नक्षत्र है, रेवती, इस का स्वामी बुध ग्रह है। साधारण दृष्टि से शनि के लिए बुध मित्र ग्रह है, और पंचधा मैत्री चक्र से देखने से बुध इस कुंडली में शनि के लिए अतिमित्र है। इस लिए साढ़ेसाती की इस अवधि में रेवती नक्षत्र में भ्रमण करते समय शनि ग्रह हानि बिलकुल भी नहीं देगा, बल्कि अचानक अधिक लाभकारी और शुभ फल देने वाला सिद्ध होगा।
7. अब सप्तम नक्षत्र अश्विनी नक्षत्र है, इस जातक के लिए अश्विनी का कुछ भाग ही साढेसाती में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है, साधारण दृष्टि से शनि के लिए शत्रु है, परंतु पंचधा मैत्रि चक्र में शनि के लिए केतु अतिशत्रु है, इस लिए केतु के अश्विनी नक्षत्र में भ्रमण करते समय शनि एक बार फिर स्वयं की लापरवाही के कारण झटका देगा, कठिन परिस्थितियां और अचानक अत्यंत हानि देने वाला होगा।
इस प्रकार इस जातक के लिए साढेसाती वाले पौने सात नक्षत्रों में से प्रथम, द्वितीय और अंतिम सप्तम नक्षत्र में भ्रमण के समय शनि अत्यंत कष्टकारी फल देगा, और चैथे गुरू के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद, में भ्रमण के समय थोडा कम कष्टकारी और तीसरा राहु का नक्षत्र शतभिषा, पांचवा शनि का नक्षत्र उत्तराभाद्रपद, और छटा बुध का नक्षत्र रेवती में शनि ग्रह का भ्रमण अत्यंत शुभ फलकारी रहेगा।

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